आनी,
महाशिवरात्री का पावन पर्व आनी घाटी में शुक्रवार को प्राचीन परंपरा अनुसार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। पर्व पर भोले को खुश करने के लिए बनाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पारम्परिक व्यजनों की खुशबु से घाटी पूरी तरह महक उठी। पर्व के दिन ग्रामीण हल्के में लोगों ने अपने घरों में शिव मंडप को सुंदर ढंग से सजाया और मंडप में केमटू से बनाये शिव स्वरूप सैईं को स्थापित किया और इसके नीचे भगवान भोले को प्रसन्न करने के लिए अनाज के ढेर, तेल में आटे से तरह तरह के बनाये पकवान,सनसे,बडे,बाकरू तथा रोट भी सजाए और शिव पार्वति स्वरूप सैंई महादेव व गणपति तथा अपने ईष्ट देवता की परिवार सहित पूजा अर्चना कर भगवान से सुख समृद्वि का आशिर्वाद लिया। पर्व के दिन तेल में बने पकवानों को अपने कुटुम्ब के लोगों तथा सम्बन्धियों में बांटकर शिवरात्री पर्व की बधाई दी गई । पर्व पर ग्रामीण क्षेत्र में मीट भात खाने का भी विशेष प्रचलन है। सांयकाल में भोजन आदि से निवृत होकर ग्रामीणों ने घर घर जाकर प्राचीन संस्कृति का निर्वहन करते हुए भगवान शिव,श्रीराम और भगवान कृष्ण तथा हनुमान की लीलाओं को रातभर जती गीत के रूप में गाकर शिव, कृष्ण,राम व हनुमान भक्ति का खूब रस घोला, जो प्रातः चार बजे तक चलता रहा।प्रातःकाल ब्रम्ह
मुहर्त में सैई स्वरूप शिवजी को मंडप से बाहर विदा किया जाएगा।जिसे सैईं स्वाना कहते हैं।इस प्रकार शिवरात्रि का यह पर्व सम्पन्न हुआ।