शिमला,
छात्र मांगों को लेकर प्रदेश व्यापी जत्था हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से रवाना हुआ जो मंडी कुल्लू सोलन और सिरमौर से होते हुए 25 मार्च हिमाचल प्रदेश विधानसभा घेराव के साथ खत्म होगा।
सरकारों का लक्ष्य रहा है कि किसी न किसी तरह से छात्र आंदोलन को खत्म किया जा सके ताकि सरकारें बिना किसी रोक टोक के फीस वृद्धि और छात्र विरोधी निर्णयों को छात्र समुदाय पर थोप सके। 2014 से छात्रों का जनवादी अधिकार चुनने और चुने जाने के अधिकार पर पाबन्दी लगा रखी है इसी का ही परिणाम था कि प्रदेश सरकार ने 2015 में 100 से 2500 फीसदी फीस वृद्धि की।
डॉ यशवंत सिंह परमार की सोच के चलते हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा स्थान बनाया था परंतु वर्तमान सरकार की गलत नीतियों के चलते शिक्षा का व्यापारी करण दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है मिल रहा है कि मानव भारती विश्वविद्यालय एपीजी विश्वविद्यालय जैसे निजी संस्थान गैर कानूनी तरीके से फर्जी डिग्रियां बेच रहे है जोकि शिक्षा के बाजारीकरण को बढ़ावा दे रहा है ये संस्थान सरकार के संरक्षण के चलते ही इस तरह के काम को अंजाम दे पा रहे है। और दूसरी ओर सरकारी संस्थानों की स्थिति को देखा जाए तो मूलभूत सुविधाओं के लिए छात्रों को जूझना पड़ रहा है। प्रदेश भर में नशे का कारोबार चरम पर है और सबसे ज्यादा युवा वर्ग इसकी चपेट में है जिसके लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है।
गुड़िया प्रकरण में भी अभी तक संतोषजनक निर्णय नहीं आया है।
एसएफआई इन तमाम मुद्दों को लेकर 25 मार्च को विधानसभा घेराव करने जा रही है।
इस जत्थे को रवाना करने से पहले पिंक पेटल्स पर नुक्कड़ नाटक और धरना प्रदर्शन के माध्यम से प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ रोष प्रकट किया गया।