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विशेष

ना केवल गांव के लिए बल्कि प्रदेश के लिए मिसाल बने मनीष

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पवन चंदेल | May 08, 2020 12:05 PM
दिल्ली गुड़गांव से लौटे फोटो:मनीष कुमार अपने घर के पास एक तंबू में रहते हुए तथा पंचायत प्रधान कुलजीत ठाकुर उसके पिता गोपीराम से वह मनीष से हालचाल पूछते हुए ।

 

पंचायत करेगी अपने स्तर पर सम्मानित ।


मेरा घर मेरा गांव मेरा देश बचा रहे इसीलिए सोया हूं खेत में ।

घुमारवीं,
दुनियाभर को अपने आगोश में लेने के लिए आतुर वैश्विक महामारी बन चुके कोविड-19 कोरोना वायरस से जहां ना केवल सरकारें बल्कि प्रत्येक व्यक्ति परेशान है तथा इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए विज्ञानिक भी दिन रात एक किए हुए हैं । वहां कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जनप्रतिनिधि हैं तथा ऊंचे रसूख वाले हैं फिर भी सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों को पालन करने में संकोच करते हैं । यहां तक कि अपनी पहचान ही छुपा कर ना केवल अपने परिवार को बल्कि गांव व प्रदेश को भी समस्या में डालने के लिए आतुर रहते हैं । वहां कुछ ऐसे कम पढ़े लिखे लोग भी हैं जो केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार तथा पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं तथा सरकारी आदेशों का सम्मान करते हुए अपने घर से दूर एक टेंट नुमा झोपड़ी में अपने दिन गुजार रहे हैं । लेकिन उन्हें संतुष्टि है कि वह इस महामारी के दौर में अपने घर में कुशल पहुंच गए हैं । घर परिवार व गांव पड़ोस भी सुखी रहें इसलिए वह टेंटों में अपनी रात गुजार रहे हैं ।कुछ ऐसी ही मिसाल देखने को मिली घुमारवीं विकासखंड की ग्राम पंचायत फटोह के गांव बल्ह फटोह में जहां 6 मई को गुड़गांव से 29 वर्षीय युवा मनीष कुमार पुत्र गोपी राम घर पहुंचा तथा घर पहुंचने से पहले ही उसने अपने पिता गोपी राम को फोन कर बता दिया था कि वह उसके लिए घर से दूर एक झोपड़ी बना दें जिसमें वे अपने आपको 14 दिन के लिये क्वॉरेंटाइन कर सके । पिता गोपी राम ने बताया कि पहले तो उन्हें अपने बच्चे के इस आदेश पर विश्वास ही नहीं हुआ । परंतु फिर भी सरकारी आदेशों व बच्चे के आदेश का पालन करते हुए उसने एक फटे हुए त्रिपाल से अपने घर से थोड़ी दूर एक झोपड़ी भी बना दी । वहां लाइट आदि की व्यवस्था भी कर दी जिसके चलते आज मनीष कुमार तीसरे दिन टेंट में रहकर अपने दिन काट रहा है। ।

गोपी राम ने बताया कि उसने अपने बेटे मनीष के निर्देश पर ना केवल प्रशासन व अधिकारियों को सूचित किया बल्कि पंचायत प्रधान को भी अपने बेटे के आने की तत्काल सूचना कर दी । इतना ही नहीं उन्होंने स्थानीय पत्रकारों को ही इस बारे में समय रहते सूचना दे दी । पंचायत प्रधान ने स्वयं गोपीराम व उसके बेटे से घर जाकर हालचाल पूछा तथा उन्हें आश्वासन दिया कि यदि उन्हें पंचायत व प्रशासन द्वारा किसी सहायता की जरूरत हो तो वह निसंकोच उन्हें बताएं । उनकी किसी भी समस्या को पंचायत तत्काल हल करने में प्रयासरत है । उन्होंने मनीष कुमार के इस प्रयास की मौके पर जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने ना केवल गांव में बल्कि प्रदेश में भी एक नई मिसाल कायम की है तथा बीमारी के असर के कम होते ही पंचायत उन्हें अपने स्तर पर सम्मानित करेगी ।

उधर गुड़गांव से लौटे मनीष कुमार ने बताया कि वह वहां एक निजी कंपनी में कार्यरत है । उसने अपने घर आने की जानकारी संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों को भी दे दी है । उसने बताया कि वह अपने आप को बिल्कुल ठीक महसूस कर रहा है तथा उसने अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड कर लिया है । समय पर एप्स जानकारी भी जुटा रहा है तथा उसकी रास्ते में भी थर्मल स्कैनिंग व अन्य जांच हुई है । उन्होंने कहा कि उनकी वजह से उनके परिवार व किसी को कोई परेशानी ना हो इसलिए उसने गुड़गांव से चलने से पहले ही अपने घर फोन कर दिया था तथा वह टेंट में अपने दिन खुशी खुशी गुजार रहा है तथा उसे संतोष है कि वह प्रशासन व सरकार के प्रयासों व सहयोग से अपनों के बीच में है ।

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