शिमला,
कोरोना महामारी में लोगों की दिनचर्या का अहम भाग माना जाने वाले अखबार को पढ़ने से लोग कतरा रहे हैं। सोशल मीडिया में सक्रियता बढ़ने के कारण अब सूचनाओं का अंबार लग गया है लेकिन इनकी विश्वसनीयता पर संदेह बना हुआ है। कोरोना महामारी के दौरान मीडिया के सामने अनेक चुनोतियाँ खड़ी हो गयी है। यह विचार विश्व संवाद केंद्र शिमला के राज्यस्तरीय नारद जयंती वेबनार में प्रख्यात पत्रकार उमेश उपाध्याय ने व्यक्त किये। विश्व संवाद केंद्र शिमला ने नारद जयंती के उपलक्ष्य में कोरोना महामारी के दौरान मीडिया की भूमिका विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। इसमे मुख्य वक्ता के रूप में टीवी जर्नलिस्ट व रिलायंस इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट और निदेशक उमेश उपाध्याय ने भाग लिया। विश्व संवाद केंद्र प्रमुख दलेल ठाकुर ने नारद जयंती पर पत्रकारों के सम्मान में हर वर्ष होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की। केंद्र के अध्यक्ष प्रोफेसर नरेन्द्र कुमार शारदा ने उपस्थित गणमान्य लोगों का अभिवादन किया। मुख्य वक्ता ने अपने उदबोधन में कहा कि जो स्थिति मीडिया की आज तक रही है वो आने वाले समय मे नही रहेगी। कोरोना महामारी के कारण अब मीडिया एक नए दौर में आ गया है। उन्होंने कहा कि लॉक डाउन के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। इसमें अनेक प्रकार के ऐप्प भी प्रयोग हो रहे हैं जिसकी बहुत अधिक सार्थकता दिखाई नही देती। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से फेक न्यूज़ के प्रचार पर चिंता जताते हुए कहा कि सूचना की प्रमाणिकता पर संदेह के कारण लोग वास्तविकता के प्रति असमंजस की स्थिति में है। उनका कहना था कि आज भले ही सूचना का अंबार है लेकिन विश्वसनीयता का प्रश्न बना हुआ है। उन्होंने सही सूचनाओं के द्वारा लोगों के मानस में आने वाले परिवर्तन से समाज की दिशा और दशा में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई। कार्यक्रम का समापन उद्बोधन विश्व संवाद केंद्र के उपाध्यक्ष व गिरिराज के सयुंक्त निदेशक यादवेंद्र शर्मा ने किया। वेबनार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख महीधर प्रसाद, प्रान्त सह प्रचारप्रमुख मोतीलाल, प्रेसक्लब शिमला के अध्यक्ष अनिल भारद्वाज, विश्व संवाद केंद्र शिमला के समिति सदस्य प्रकाश भारद्वाज, राजेश बंसल, अर्चना फुल्ल, नीतू वर्मा और कृष्ण मुरारी सहित 50 से अधिक पत्रकारों ने ऑनलाइन सहभागिता की।