क्या.... उसने सोचा होगा
क्या........... उसने सोचा होगा।
भूख में ,जब मिला कुछ पोषण को।
मनुष्य को देख आभार हुआ होगा।
अमृत नहीं अग्नि विष है इसमें,
क्या ......उसने सोचा होगा।
हे... मनुष्य तेरे खेल ने,
दो-दो जीवन लील लिए।
मानवता को कलंकित कर दिया।
दानव भी पीछे छोड़ दिए।
पोषण नहीं छल है इसमें ,
क्या ....उसने सोचा होगा।
प्राणों से जब छूट गयी... वह ।
ईश्वर से जाकर पूछा होगा।
यह कैसी रचना है ....ईश्वर ।
क्या तुमने कभी नहीं सोचा होगा।
जो हुआ साथ उसके,
किसी ने भी ना सोचा होगा।