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कविता

इसलिए

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राजीव डोगरा "विमल" | July 07, 2020 04:46 PM
  • इसीलिए

    दर्द कम नहीं था
    इसीलिए
    बेदर्द होना पड़ा।
    हमसफ़र कोई नहीं मिला
    इसीलिए
    हम राही होना पड़ा।
    राज बहुत दफन थे
    इस तड़फते दिल में
    इसीलिए
    हमराज होना पड़ा।
    दिल बहुत दुखता था
    अपनों के दिए गम से
    इसीलिए
    महाकाल की भक्ति में
    चूर होकर
    मुझे भी काल होना पड़ा।

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