अब मैं नाराज नही होता
वक्त के बदलते चेहरों को देख
अब दिल उदास नही होता।
अब मैं नाराज नही होता।।
अपना बनाने की कोशिश में,
जो अपने बन ही नहीं पायें।
अब दिल उनके लिए नही रोता।
अब मैं नाराज नही होता।।
जो प्यार को समझे ही नही,
बाद बरसों के अब तक।
उनको समझाने की कोशिश में,
अब वक्त और नही खोता।
अब मैं नाराज नही होता।।
झूठ को सहारा तो नही,
बनाया था कभी ।
लेकिन उनको अब भी,
यकीन नही होता।।
अब मैं साथ सबूतों के,
सामने पेश नही होता।
अब मैं नाराज नही होता।
जिंदगी में, अपनों के लिए।
अपने सपनों को देखा ही नही।
यह अलग बात है, उन्हें
इस बात का अहसास नही होता।
अब मैं नाराज नही होता।
मुझपे इल्ज़ामों की एक लड़ी-सी है।
पूछता हूँ, तो जवाब नहीं होता।
मैं इतना भी कमजोर नही,
कि अपनी गलती न मानूँ।
मुझे अपने गलत होने का,
जब कोई आधार नही होता ।
अब खुद को सही साबित करूँ।
जो समझें ही नहीं।
ऐसे सबूतों का जुड़ाव नही होता।
अब मैं नाराज नही होता।