*हरिहरपुरी के शब्द*
1-पुस्तक ब्रह्माक्षरों की धर्मशाला होती है।
2-सरस्वती माँ स्वयमेव पुस्तक के रूप में होती हैं।
3-ईश्वर व्यक्ति के कुकृत्यों के प्रबल गवाह होते हैं।
4-जो ईश्वर को कभी नहीं भूलता,वह स्मरणीय बन जाता है।
5-जिसे ईश्वर से प्रेम है,वही सच्चा प्रेमी होता है।
6-जिसका मन और हृदय स्वच्छ है,वह ईश्वर के पास रहता है।
7-अच्छा काम स्वयमेव धार्मिक क्रिया है।
8-नि:स्वार्थ संबंध चिर स्थायी होता है।
9-धन और सत्ता का व्यामोह व्यक्ति को अमानव बना देता है।
10-जो गलत काम से डरता है,वही सुखी है।
11- प्रामाणिक साक्ष्य की विजय होती है।
रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801