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कविता

आसान और मुश्किल

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प्रीति शर्मा असीम | September 12, 2020 12:10 PM

आसान और मुश्किल

आधी रात उठे और चल देना।
कितना मुश्किल है यशोधरा बनना,
अश्रु छुपा मुस्कराते रहना।
कितना आसान है राम बनना,
निर्दोष भार्या की परीक्षा लेना।
कितना मुश्किल है वैदेही बनना
गर्भावस्था में परित्यक्ता होना।
कितना आसान है कृष्ण बनना,
गोपियों संग रास रचना।
कितना मुश्किल है रुक्मिणी बनना
कांत संग राधा नाम फिर भी संग रहना।
कितना आसान है सौमित्र बनना
सहोदर संग अरण्य अरण्य भटकना।
कितना मुश्किल है उर्मिला बनना
अश्रु रहित होकर कर्तव्य पर रहना।
कितना आसान है गौतम बनना,
सहचरी को अपनी शिला श्राप देना
कितना मुश्किल है अहिल्या बनना,
प्रस्तर रुप मे वेदना छुपाना।
कितना आसान है धर्म राज बनना
द्यूत क्रीड़ामें संगिनी को हारना।
कितना मुश्किल है यंज्ञागीबनना,
रजस्वला तन और सभा में चीर हरण होना।
कितना आसान है स्त्री का स्त्रीत्व भंग करना,
उसके कोमल हृदय पर आघात करना।
कितना मुश्किल है स्त्री बनना,
आजीवन पिंजरे में पर उड़ान भरना।

कवयित्री गरिमा राकेश गौतम
कोटा राजस्थान

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