जिसे कोई समझ नहीं पाए।
जीवन के अंतर में समाए।।
अबूझ रह जाए कितनी बातें,
भावनाएं लेकिन समझ ना आए।
भावों की माला को जपते,
सपनों के नित मोती घिसते।।
अंतर्मन की पीड़ा अनंत,
भावों में हर पल वह बसते ।।
जानबूझकर भावों को छलते।
मन को छूने से है डरते।
दिल की बातें समझे कौन,
अबूझ रह जाए कितनी बातें,
भावनाएं लेकिन समझे कौन।।