दुनिया की दास्ताँ --
ये दुनिया है साहब यहाँ सब मौन है ,
इंसान की इनसानियत को कदर करता कौन है ?
सब यहाँ अपने ही हित के बात करता है,
एक दूसरे को समझता कौन है?
कत्ललेयाम सरयाम होती है,
बदनामी मे नीरदोषो के नाम होती है।
चिख पङती है आवाज मासुमों की,
उसे बचाने आता कौन है?
ये दुनिया है साहब यहाँ सब मौन है ,
इंसान की इनसानियत को कदर करता कौन है ?