*ऐसा होगा*
ऐसा होगा एक दिन , बात हमारी मान।
पूजेगी दुनिया सकल, पाओगे सम्मान।।
ईश्वर का वरदान है, कर दिल से विश्वास।
करते रहना रात-दिन, रचना का अभ्यास।।
रचना को गढ़ते रहो, गढ़-गढ़ मारो चोट।
बार-बार लिखते रहो, सदा काढ़ना खोट।।
रचना करना योग है, करो निरन्तर योग।
वाक्यों की रचना करत, शव्दों का संयोग।।
सुंदर उत्तम शव्द का, करते रहो प्रयोग।
भावों में बहते रहो, कर बौद्धिक उपयोग।।
चिंतन करना रात-दिन ,करना सतत प्रयास।
रचना नागर पर करो ,चढ़ने का अभ्यास।।
इसी निरन्तर साधना, से बन रचनाकार।
रचते बढ़ते चल चलो, लख मोहक संसार।।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801