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धर्म संस्कृति

अकादमी के मंच पर निर्गुण पद, गणगौर एवं निमाड़ी लोकगीतों का गायन

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हिमालयन अपडेट ब्यूरो | December 07, 2020 01:11 PM

शिमला,

हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला वर्तमान कोरोना काल में फेसबुक और यूट्यूब लाइव के माध्यम से रोजाना साहित्य कला संवाद कार्यक्रम का प्रसारण कर रही है। यह कार्यक्रम साहित्य, कला, भाषा, संस्कृति और सामयिक चिंतन के लिए समर्पित है। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश और देश के विभिन्न भागों से आमंत्रित साहित्यकार, कलाकार, बुद्धिजीवी, पत्रकार, समाजसेवी विद्वान अपने विचार साझा करते हुए अपनी रचनाओं का पाठ कर चुके है। साहित्य कला संवाद कार्यक्रम के माध्यम से अब तक एक सौ नब्बे से अधिक सफल कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं जिनमें कलाकारो, साहित्यकारों, पत्रकारों तथा बुद्धिजीवियों द्वारा विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए गए, व्याख्यान प्रस्तुत किए और अपनी रचनाओं का भी पाठ किया गया।

 

इस श्रंखला में रविवार, 06 दिसम्बर 2020 को प्रसारित 194वें एपिसोड में मध्यप्रदेश से सुमित शर्मा व मिशा शर्मा ने संगीत संध्या में भाग लिया।

सुमित शर्मा व मिशा शर्मा मध्यप्रदेश के भुआणा निमाड़ जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में रहते हैं एवं लोककवि संत सिंगाजी के निर्गुण पद, गणगौर एवं निमाड़ी लोकगीतों का गायन करते हैं जो कि 500 वर्ष पुरानी परंपरा है इस परंपरा को इन्होंने पुनर्जीवित किया है, इनके परिवार में कई पीढ़ियों से लोकगायन एवं लोकनाट्य की परंपरा रही है, वर्तमान में शर्मा दंपत्ति ग्वालियर घराने के मूर्धन्य गायक  विजय सप्रे  से शास्त्रीय संगीत की तालीम ले रहे हैं, 

 

मालवा-निमाड़ में अत्यंत प्रसिद्ध लोक कवि संत सिंगाजी महाराज ने अपने जीवनकाल में गृहस्थ होकर भी निर्गुण उपासना की। उनका तीर्थ, व्रत आदि में विश्वास नहीं था। उनका कहना था कि सब तीर्थ मनुष्य के मन में ही हैं। जिसने अपने अन्तर्मन को देख लिया, उसने सारे तीर्थों का फल प्राप्त ‍कर लिया। सिंगाजी महाराज ने अपनी अलौकिक वाणी से तत्कालीन समाज में व्यापक परिवर्तन किए।

 

हिमाचल अकादमी के सचिव डा. कर्म सिंह और सम्पादक हितेन्द्र शर्मा ने बताया कि साहित्य कला संवाद कार्यक्रम भविष्य में भी निरंतर रोज़ाना प्रसारित होता रहेगा। उन्होंने सभी दर्शको से हिमाचल अकादमी के फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल को अधिक से अधिक लाईक, सब्सक्रिप्शन और शेयर करने की अपील की है जिससे यह कार्यक्रम घर-परिवार तक पहुंच कर सभी सुधी दर्शको को लाभान्वित कर सके।

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