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कविता

कोरोना

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प्रीति शर्मा असीम | December 15, 2020 02:22 PM


***** कोरोना ***


हमको घर पर खूब बिठाया,
जब से ये कोरोना आया,
मम्मी हमसे तंग हुई हैं,
पापा रुठे- रुठे से,
पढ़ने को हम खूब लपकते,
लेकिन मन मे लड्डू फूटे,
स्कूल अभी खुलने न पाए,
वरना मौज चली न जाए,
यही सोंच हम खुश हो - होकर,
कुछ नजदीक चले बस्ते के,
लालच अब तो ऐसे बढ़ता,
स्कूलों का नाम न बचता ।


डा ० अर्चना मिश्रा शुक्ला

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