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कविता

क्या कहूँ

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राजीव डोगरा 'विमल' | December 26, 2020 05:27 PM

कांगड़ा,

मैं क्या लिखूं अपने बारे में
मुझे कुछ भी
समझ सा नहीं आता।

मेरा इल्म भी
फीका सा पड़ रहा है
तेरी यादों के आगे।

साथ छोड़ चुका हूं
हर उस शख्स का
जो तुमसे जुड़ा है।

मगर दिल की धड़कनों को
कैसे जुदा करू
जो तुमसे हर पल जुड़ी हैं।

बिखरे हुए वक्त को भी
समेट लिया है मैना
तेरी यादों के साथ।

मगर खुद को कैसे समेटू
जो बिखर कर भी
संभल नहीं पाया हूं आज तक।

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