Saturday, April 20, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
सुखराम चौधरी का संजय अवस्थी और अनिरुद्ध सिंह पर पलटवारज़िला निर्वाचन अधिकारी ने नियंत्रण कक्ष का निरीक्षण कियास्वीप के अंतर्गत भरमौर विधानसभा क्षेत्र में  कुवारसीं, बजोल, बडेई और  दाडवी में मतदाता जागरूकता अभियान आयोजितएसडीएम अर्की ने कम मतदान प्रतिशत वाले मतदान केंद्र में चलाया विशेष जागरूकता अभियानवर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सभी वर्ग दुखी : कश्यपगोंदपुर बुल्ला और भडियारां में मतदान प्रतिशतता बढ़ाने को लेकर ग्रामीण किए जागरूकगोंदपुर बुल्ला और भडियारां में मतदान प्रतिशतता बढ़ाने को लेकर ग्रामीण किए जागरूकउपायुक्त का 'नशा मुक्त ऊना' बनाने के लिए सभी के समन्वित प्रयासों पर बल
-
कहानी

झूठ और सच

-
December 29, 2020 06:19 PM

झूठ और सच


एक गाँव में दो महिलाएं रीता और सीता अगल-बगल रहती थीं उनमें
रीता धनवान थी और सीता बहुत ही विपन्न । सीता की गरीबी ने उसे बहुत ही दयालु और दुखकातर बना दिया था लेकिन उसकी गरीबी के कारण उसका कोई आदर नही करता था । लेकिन उसकी पड़ोसी रीता सदैव उससे डाह रखती थी। मिलने पर तो मीठा-मीठा बोलती लेकिन उसे नीचा दिखाने का कोई न कोई अवसर तलाशती रहती ।
एक दिन सीता की बेटी के लिए घर बैठे ही रिश्ता आ गया किंतु विवाह की रस्मों के लिए भी उसके पास पैसा नही था । वह दौड़ी -दौड़ी रीता के पास गई और पूरी बात बताई । रीता कपट भाव से उसकी मदद करने को तैयार हो गई । आज सीता बहुत खुश थी कि रीता चाहे कहती कुछ भी हो लेकिन मेरे काम करने को झट तैयार हो गई । विवाह के कुछ दिनों के बाद सीता धान की फसल बेंचकर रीता का धन ब्याज सहित लौटा देती है । कुछ समय बीतने पर रीता यह कहते हुए सीता को अपने पास बुलाती है कि मेरा पैसा कब लौटाओगी । यह बात सुनकर सीता चौंक जाती है और कहती है मैंने तो तुम्हारा पैसा पहले ही लौटा दिया था तुम्हे इस तरह झूँठ नही बोलना चाहिए । रीता बराबर कहे जा रही थी कि तुमने मेरा पैसा कब लौटाया ? यह सुनकर सीता बोली कि तुम नही मानोगी तो मै पंचायत बुलाऊँगी यह सुनकर रीता और जोर - जोर से चिल्लाने लगी । सीता बोली तुम धनवान हो कुछ भी बोल सकती हो लेकिन तुम्हारे पाप का घड़ा अब भर चुका है जीत सच की ही होगी । मैं अब पंचायत बुलाकर ही रहूँगी । रीता का अर्न्तमन बड़ा ही कठोर था पर सीता अपनी ईमानदारी और सत्यता पर अड़ी थी । कुछ लोग सीता को बेइमान ही मान रहे थे क्योंकि रीता हर मिलने जुलने वाले से मीठी बोली में अपने परोपकार और सीता की बेइमानी का किस्सा सुनाती ।
इधर सीता यह सोंचकर चिन्तित हो रही थी कि ऐसी बदनामी होने पर कोई भला आदमी कभी किसी जरूरतमंद की मदद करने को तैयार नहीं होगा । उसी भीड़ से देवी दद्दा बोल उठे उस महिला की फरेबी कौन नही जानता यह धन दौलत उसने बेइमानी करके ही इकट्ठी की है । कुछ लोग इस बात को समझ रहे थे कुछ नही । अंत में सीता ने पंचायत लगाने की प्रार्थना की । पंचायत में रीता और सीता को बुलाया गया । सीता बोली सांच को आँच क्या? किंतु रीता हिचकिचा रही थी बोली मैं पंचायत क्यूँ जाऊँ मै बड़े घर की बेटी हूँ नीच- कौम, रेया - मज़दूरों की कोई इज्जत तो होती नही ऐसी ऊल जलूल बातें बनाए जा रही थी । उसकी ना नुकुर ने ही साबित कर दिया कि रीता झूँठ बोल रही है और सीता सच ।
इस झूँठे आरोप में सीता को फंसाने के लिए रीता पर जुर्माना लगाया गया कि रीता सीता के घर वर्ष भर का राशन भरेगी । रीता ने पकड़े जाने पर अपनी गलती मानते हुए यह शर्त मंजूर कर ली । रीता सीता को अपने गले लगाते हुए बोली अब से हम दोनों में कोई भेद नहीं है ।हम दोनों प्यारी बहनोंकी तरह रहेगें ।
डा ० अर्चना मिश्रा शुक्ला
प्राथमिक शिक्षक एवं साहित्यकार
कानपुर नगर
उत्तर प्रदेश

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और कहानी खबरें
-
-
Total Visitor : 1,64,52,738
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy