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हिमाचल

भाजपा ने कांग्रेस की सुक्खू सरकार के 18 घोटाले करे उजागर

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ब्यूरो हिमालयन अपडेट | December 11, 2024 05:43 PM




शिमला, भाजपा के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल की अगवाई में प्रदेश के राज्यपाल महोदय शिव प्रताप शुक्ल को कांग्रेस सरकार के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा गया।
इनके साथ भाजपा प्रदेश प्रभारी श्रीकांत शर्मा, सह प्रभारी संजय टंडन, पूर्व मंत्री, विधायक और प्रदेश पदाधिकारी उपस्थित रहे।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि भाजपा ने राज्यपाल को वर्तमान कांग्रेस सरकार के 2 वर्ष के काले कारनामों का 'कच्चा चिट्ठा' सौंपा है। वर्तमान कांग्रेस सरकार का 2 वर्ष का यह कार्यकाल प्रदेश के इतिहास में काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा क्योंकि इस दौरान भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी इस सुक्खु सरकार ने 'मित्रों' को अनैतिक रूप से लाभ पहुँचाकर, फ़िजूल खर्ची को बढ़ावा देकर और आर्थिक कुप्रबंधन कर जहाँ प्रदेश को आर्थिक दिवालियापन के कगार पर खड़ा कर दिया वहीं क़ानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए खनन, ड्रग, शराब, कबाड़, वन व भू माफिया को सरंक्षण दे प्रदेश में माफिया राज स्थापित कर दिया। यही नहीं कांग्रेस की इस सरकार ने जहाँ जन विरोधी निर्णय लेकर प्रदेश की जनता को त्रस्त करने का काम किया, वहीं कई अजीबोगरीब फैसले लेकर प्रदेश को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मज़ाक का विषय बना दिया। हिमाचल प्रदेश भारतीय जानता पार्टी वर्तमान प्रदेश सरकार के 2 साल के कार्यकाल पूरा होने पर इस सरकार के काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा प्रस्तुत कर रही है।

उन्होंने कहा कि इस सरकार के छोटे से दो साल के कार्यकाल में यह कांग्रेस सरकार घोटालों की सरकार साबित हुई है। पहला मुख्यमंत्री कार्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डाः सुखविंदर सिंह सुक्खु द्वारा मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालते ही मुख्यमंत्री कार्यालय में रहे एक कर्मचारी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक गुमनाम पत्र लिख कर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत एक अधिकारी, बिजली बोर्ड के आलाधिकारी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। पत्र में आरोप लगाया गया था कि किन्नौर स्थित शोंग-टोंग-कड़छम हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बनाने वाली मैसर्ज पटेल इंजीनियरिंग कंपनी द्वारा 25 करोड़ रुपए इन अधिकारियों को मुख्यमंत्री कार्यालय में दिए। अब यह आरोप इसलिए सत्य लग रहा है क्योकि हिमाचल सरकार हिमाचल प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (एच.पी.पी.सी.एल.) के माध्यम से अनेक तरह के लाभ इस कंपनी को पहुँचा रही है जैसे एच.पी.पी.सी.एल. ने अपने बोर्ड की बैठक में कार्यपूर्ति की समय अवधि को दूसरी बार बढ़ा दिया। प्रोजेक्ट समय पर पूरा न करने पर 162 करोड़ रू. के जुर्माने को न लगाकर 1765 दिनों की समय अवधि और बढ़ा दी। दूसरा, घाटे पर चल रही इस कंपनी को 150 करोड़ रु. का काम बढ़ा कर 288 करोड़ रू. में दे दिया। यही नहीं, मलवा हटाने का रेट भी 67 रू/क्यूबिक मीटर से बढ़ाकर 88 रू/ क्यूबिक मीटर कर दिया और मलवे की मात्रा भी 1,74,000 क्यूबिक मीटर से बढ़ाकर 3,74,000 क्यूबिक मीटर कर दी जो भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट प्रमाण है। दूसरा शराब घोटालाः हिमाचल सरकार के आबकारी एवं कराधान विभाग ने इस वर्ष के लिए फ़रवरी-मार्च 2024 में शराब के ठेकों की नीलामी की जिसमें बहुत बड़ा घोटाला घटा। एक तो विभाग ने जिलों में छोटे यूनिट मिलाकर बड़े यूनिट बना दिया, अर्थात यूनिट बड़े बना दिए ताकि चहेते ठेकेदारों को ज़्यादा काम मिल सके। इसका विवरण इस प्रकार है : सिरमौर ज़िला - 5 यूनिट का 1 यूनिट, मंडी ज़िला - 8 यूनिट का 1 यूनिट, नूरपुर - 5 यूनिट का 1 यूनिट, चंबा ज़िला -11 यूनिट का 1 यूनिट, बिलासपुर ज़िला - 5 यूनिट के 2 यूनिट।  दूसरा सरकारी दबाव में प्रशासनिक अधिकारियों ने नीलामी करने में गड़बड़ियाँ की जिससे कई जिलों में बोली रिज़र्व दाम के बराबर या कम में ही चली गई और चहेतों को लाभ देने के लिए सरकारी ख़ज़ाने को चूना लगाने का काम किया गया। नीलामी के दौरान की गई गड़बड़ियों का उदाहरण ज़िला बिलासपुर से मिलता है जिसमे जब ऑनलाइन किसी ने बोली नहीं दी तो रात के अंधेरे में ही टेंडर डलवा लिया गया, जिसकी वीडियो (video) सन्लगित और इसमें तो एक महिला अधिकारी कैश (cash) लेते हुए भी नज़र आ रहीं हैं। आवश्यकता है कि ज़िला बिलासपुर समेत अन्य ज़िलों में भी नीलामी की इस प्रक्रिया की जाँच हो।  26 जुलाई 2024 को पानीपत पुलिस ने पोंटा साहिब स्थित शराब की फैक्ट्री से 970 शराब की पेटियों को अवैध रूप से बिहार को लेजाते हुए पकड़ा, जबकि बिहार में शराब बैन है। यही नहीं, ट्रक में शराब की पेटियों को चूने की 34 बोरियों से ढक कर लेजाया जा रहा था। चूने के बिल और ट्रक की नंबर प्लेट भी नकली थी। इस संबंध में पानीपत पुलिस ने एफ.आई.आर. भी दर्ज की और हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रशासन को आगामी करवाई के लिए प्रेषित किया परंतु सरकारी दबाव के कारण आज तक न तो पुलिस प्रशासन ने कोई करवाई की और न ही आबकारी एवं कराधान विभाग ने। शराब माफिया का दबाव इस मामले में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल में बड़ी कार्रवाई करते हुए नालागढ़ स्थित शराब कंपनी की 9.31 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त की है। ईडी ने मैसर्ज काला अंब डिस्टिलरी एड ब्रीवरी प्राइवेट लिमिटेड नालागढ़ की 5.31 करोड़ रुपए की संपत्ति (फैक्टरी और भवन के साथ एक औद्योगिक भूखंड शामिल), सहित अरुणाचल प्रदेश के होलोंगी गांव में चार करोड़ की 22504 वर्ग मीटर भूमि कारखाने और भवन को जब्त किया हैं। ईडी ने यह कार्रवाई बिहार में अवैध रूप से - शराब की आपूर्ति के एक मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के - प्रावधानों के तहत की है। हिमाचल प्रदेश में बाहर के राज्यों से भी अवैध रूप से शराब लाकर बेची जा रही है जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंच रहा है। वर्तमान सरकार पर यह भी आरोप है कि शराब नीति में बदलाव की अब शराब की बोतल पर Maximum Retail Price (M.R.P.) लिखने की बजाए Minimum Sale Price (M.S.P.) लिखा जा रहा है, जिस का लाभ उठाकर शराब के ठेकेदार मनचाहे दामों पर शराब की बिक्री कर रहे हैं। जिससे चहेते ठेकेदारों को तो लाभ मिल रहा है परन्तु सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है। तीसरा भू-घोटालेः
फ़रवरी-मार्च 2015 में मुख्यमंत्री श्री सुखरिंदर सिंह सुक्खु के नज़दीकी श्री अजय कुमार, श्री राजेंद्र सिंह राणा और श्री प्रभात चंद ने श्रीमान महेश्वर सिंह जी से 70 कनाल ज़मीन ₹. 2 लाख 60 हज़ार रू. में तीन अलग अलग रजिस्ट्रियाँ करवा कर खरीदी गई (रजिस्ट्री की कापियाँ)।उस समय के वहाँ के तहसीलदार श्री अनिल मनकोटिया आज मुख्यमंत्री महोदय के ओ.एस.डी. हैं। अब दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने मुख्यमंत्री रहते यह 70 कनाल ज़मीन तीनो चहेतों से हि. प्र. पथ परिवहन निगम को 6 करोड़ 72 लाख 61 हज़ार 266 रू. में, अर्थात 400% दाम बढ़ा कर दिलवा दी और अपने चहेतों को लाभ पहुँचा, इस भू घोटाले को अंजाम दिया । जलशक्ति विभाग मंडल प्रागपुर द्वारा उठाऊ पेयजल योजना गाँव रक्कड़, प्रागपुर में 2 रिसवा कूँओं को लगाने हेतु 00-07-65 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जिसके एवज में इस भूमि के मालिक मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खु के परिवार ने 18,00,000 रु. लिए और आश्चर्य की बात है कि इसमें से 4 लाख 50 हज़ार रुपयमुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु जी के खाते में गए। हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग द्वारा पीने के पानी के टैंक आदि बनाने के लिए गरीब से गरीब व्यक्ति भी ज़मीन देने के बदले कोई पैसा नहीं लेता परंतु मुख्यमंत्री व उनके परिवार के सदस्यों द्वारा 7 बिस्वा ज़मीन के 18 लाख रू. लेना मुख्यमंत्री द्वारा ख़ुद को दानी एवं ईमानदार दर्शाने की कोशिश की पोल खोलता है। सुखविंदर सिंह सुक्खु जी के भाई राजीव सिंह जी ने नादौन में 769 कनाल ज़मीन ख़रीदी जिसे साल 2012 में सुक्खु जी ने अपने नाम करवा लिया, तब यह कृषि भूमि के नाम से दर्ज थी परंतु उस समय के एस.डी.एम. अनिल मनकोटिया जो अब मुख्यमंत्री महोदय के ओ.एस.डी. हैं, उन्होंने इस ज़मीन की किस्म को बदल दिया और सुक्खु जी ने इस भूमि को 2017 व 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए हल्फनामे में गैर कृषि भूमि दर्शाया और इसकी क़ीमत 2 करोड़ 78 लाख रू. बताई जब की सच यह है की भूमि निर्धारण धारा-3 के अनुसार यह भूमि किसी भी परिभाषा में नहीं आती। प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति अपने ओ.एसडी. से मिलकर किस तरह भू-घोटाले को अंजाम दे रहे हैं, यह उसका एक उदाहरण है। विधानसभा क्षेत्र पालमपुर के अंतर्गत नगर निगम वार्ड 1 में बंदला के छिड़ चौक क्षेत्र से निकलने वाली महत्वपूर्ण 3 कूल्हों (1. दाईं दी कुल्ह, 2. मियां फ़तह कुल्ह, 3. दिवान कुल्ह) के ऊपर एक भू माफिया ने बहुत बड़ा स्लैब डालकर कुल्ह पर क़ब्ज़ा कर लिया है। कुल्ह के ऊपर स्लैब को डालने की शिकायत करने पर सरकार ने अभी तक कोई करवाई नहीं की। पेट्रोल पम्प हेतु सरकारी ज़मीन वर्तमान सरकार के एक विधायक की पत्नी के भाई श्री प्रदीप कुमार सुपुत्र श्री रोशन लाल, पालमपुर निवासी को पेट्रोल पम्प लगाने के लिए धर्मशाला में सरकारी ज़मीन देने के लिए ज़िला प्रशासन दिन रात मेहनत कर रहा है। एन.ओ.सी. तो दे भी दी है। भाई ठीक ही कहा है... 'सारी खुदाई एक तरफ़, जोरू का भाई एक तरफ़'। चौथा खनन माफियाः हि. प्र. की सुक्खु सरकार के समय खनन माफिया का सरकारी सरंक्षण में इतना दबाव बढ़ गया है कि सरेआम अवैध खनन होता है और प्रशासनिक अधिकारी चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते। बद्दी में वहाँ की एस. पी. का लंबी छुट्टी पर चले जाना इस आरोप की पुष्टि करता है। आपदा के समय सरकार ने कांगड़ा जोन के सभी स्टोन क्रशर बंद करने के निर्देश दे दिए परंतु मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र नादौन में उनके भाई व मित्रों के स्टोन क्रशर चलते रहे। अवैध खनन कर इन्होंने सभी सरकारी कामों पर ऊंचे दाम पर रेत बजरी सप्लाई किया और. मुख्यमंत्री ने अन्य मामलों की तरह इसमें भी अपने मित्रों को अनैतिक ढंग से लाभ पहुंचाया। हमारे इस आरोप की पुष्टि ई. डी. (E.D.) द्वारा रेड कर मुख्यमंत्री के दो करीबी लोगों की गिरफ्तारीयाँ होने से मिलती है। यही नहीं अवैध खनन कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, सोलन व सिरमौर ज़िलों के सीमावरती क्षेत्रों में बेरोक-टोक हो रहा है। सरकारी सरंक्षण से खनन माफिया इतना हावी है कि साथ लगते पंजाब की तुलना में रेत बजरी महँगा मिल रहा है, मगर प्रशासन कोई करवाई नहीं कर रहा है। ज़िला मंडी की ब्यास नदी, पोंटा साहिब की यमुना और काला अम्ब की मारकण्ड में तो सरकारी आदेश से ही अवैध रूप से भारी मात्रा में खनन हुआ और आज ये नदियाँ अपनी दिशाएँ बदल रही हैं जिससे आने वाले समय में किसी आपदा की संभावना पैदा हो रही है। पांचवां वन माफियाः वर्तमान सरकार ने प्राइवेट ज़मीन से पेड़ काटने को अपने चहेतों को लाइसेंस दे रखे हैं और वे ठेकेदार एक तो जिन 9 किस्म के पेड़ों के कटान की परमिशन है उनके अलावा अन्य किस्म के पेड़ों को भी काट रहे है और दूसरा प्राइवेट ज़मीन के अलावा सरकारी जंगलों से भी अवैध रूप से कटान किया जा रहा है। सरकारी दबाव के कारण वन विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बन गए हैं। सिर्फ गगरेट में पिछले दिनों 50 गाड़ियाँ अवैध कटान कर लकड़ी ले जाती हुई पकड़ी गई जबकि अवैध कटान हर क्षेत्र में सरकारी संरक्षण में सरेआम हो रहा है। सरकारी जंगलों में अवैध रूप से खैर की कटान भी करवाया जा रहा है जिसके कारण प्रदेश की वन सम्पन्दा ही तबाह हो रही है। सरकारी जंगलों में अवैध रूप से खैर की कटान भी करवाया जा रहा है जिसके कारण प्रदेश की वन सरपदा ही तबाह हो रही है। छठा हिमाचल ऑन सेल, वर्तमान प्रदेश सरकार में बड़े पैमाने पर हिमाचल प्रदेश की संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया है और पर्यटन निगम इसका एक उदाहरण है। पर्यटन निगम के कर्मचारी संघ ने सेवानिवृत कर्मचारियों की देनदारियों को लेकर एक मामला माननीय उच्च न्यायालय में दर्ज किया जिसमें जानबूझकर पर्यटन निगम ने अदालत के आदेश पर जो रिपोर्ट अदालत में रखी उसमे पर्यटन निगम के उन 18 होटलों को घाटे में दर्शा दिया जो प्राइम स्थानों पर चल रहे हैं। अदालत द्वारा पूछे जाने पर की पर्यटन निगम इन्हें कैसे लाभ में लाएगा, सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया, जिसके परिणाम स्वरूप अदालत ने इन होटलों को बंद करने के आदेश दे दिए, और अभी मामला स्टे पर है परंतु आरोप यह है की सरकारी वकीलों ने मामले की पैरवी इसलिए ढंग से नहीं की ताकि बंद होने पर इन होटलों को अपने चहेतों को बेचा जा सके। हमारे इस आरोप की पुष्टि मुख्यमंत्री महोदय द्वारा द ट्रिब्यून को दिए साक्षात्कार से मिलती है। हि. प्र. के माननीय उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी 2023 को Seli Hydro Electric Power Co Ltd द्वारा हिमाचल सरकार के ऊर्जा विभाग पर दायर एक मामले में सरकार को उक्त कंपनी को 64 करोड़ रु. जमा करवाने के निर्देश थे परंतु सरकार द्वारा यह राशि न देने के कारण अब 18 नवंबर 2024 को माननीय उच्च न्यायालय ने दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को उपयोक्त कंपनी के साथ अटैच कर उसे कुर्क करने के आदेश दे दिए। इससे प्रतीत होता है कि सरकार ने जानबूझ कर पैसा जमा नहीं करता ताकि हिमाचल भवन किसी चहेते मित्र को दिलाया जा सके। चौतरफ़ा विरोध सुन अब शायद प्रदेश सरकार यह पैसे जमा करवाये। सातवां. लोक निर्माण विभाग बना भ्रष्टाचार का अड्डाः वर्तमान सरकार के समय लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बना है। मुख्यमंत्री और मंत्री की लड़ाई के बीच जहाँ विकास प्रभावित हो रहा है वहीं इस विभाग में भ्रष्टाचार के लिए भी दोनों के बीच प्रतियोगिता चल रही है। हमीरपुर व कांगड़ा जोन में मुख्यमंत्री सीधा हस्ताक्षेप कर अपने चहेतों को टेंडर दिलाने में लगे हैं। अगर उनमें चहेतों को काम नहीं मिलता तो टेंडर ही रद्द कर दिया जाता है। भरवाईं डिवीज़न में एक काम का टेंडर इसी कारण 10 बार रद्द हो गया। कई डिविजनों में अपने मित्रों को काम देने के लिए अन्यों के टेंडर रद्द कर दिए जाते हैं। मंडी व शिमला जोन में मंत्री महोदय अपना सिक्का चलाने का प्रयास करते हैं परंतु कोशिश यह रहती है की ऐन-केन-प्रकेण उनके चहेतों को ही काम मिले और चहेते बिना काम किए बिल पेश कर पेमेंट लेने के लिए अधिकारियों के पास जाते हैं और भारी दबाव में कई बार असहाय होकर, अधिकारी भी ग़लत कार्य करने को अंजाम दे रहे हैं। लोक निर्माण विभाग में घट रहे घोटालों का उदाहरण बंजार डिवीज़न का है 16 महीनों में 14 करोड़ रू. के 1809 टेंडर लगवाकर मलवा हटाने पर खर्च कर दिए, परंतु कई जगह यह मलवा हटाया ही नहीं गया। विधानसभा में मुद्दा उठाने पर भी सरकार ने जांच नहीं करवाई जिससे स्पष्ट है की यह घोटाला ही सरकार के सरंक्षण में घटा है। आपदा में चहेतों की मशीनें ही सड़कों की मुरम्मत करने के लिए लगाई गई, बिना काम किए बिल देकर पेमेंट ले ली गई और सड़कों की अभी तक मुरम्मत नहीं हुई। ऐसे अनेक उदाहरण प्रदेश में मिल जाएँगे। आठवां भ्रष्ट अधिकारियों को सरंक्षण देने का आरोपः पिछली भाजपा सरकार के समय प्रदेश के मुख्य सचिव आई.ए.एस. अधिकारी श्री राम सुभाग सिंह पर सुखविंदर सिंह सुक्खु ने विधायक रहते हुए विधानसभा के अंदर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और आज उसी राम सुभाग सिंह को उन्होंने अपना मुख्य सलाहकार बना रखा है। जिस पुलिस अधिकारी फ़िरोज़ ख़ान पर बद्दी में एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी और माननीय उच्च न्यायलय ने जिसके ख़िलाफ़ सरबत टिप्पणी की थी उसे इस सरकार ने ऊना में विजिलेंस विभाग में तैनात कर दिया है। जिस विक्रम महाजन ने नगर निगम पालमपुर में आयुक्त पद पर रहते हुए अवैध नक्शों को पास किया और विजिलेंस ने भी जिसे दोषी करार दिया था, उसे सरकार ने हि. प्र. चयन आयोग हमीरपुर में सचिव के पद पर तैनात किया है। जिस ड्रग इंस्पेक्टर कमलेश नायक पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही है, उसे स्वास्थ्य विभाग के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर के पद पर बद्दी में लगा दिया है और बाकी वरिष्ट अधिकारियों से ज़्यादा क्षेत्र का काम देकर सम्मानित भी किया। नौवां बैंक घोटालेः कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक ने वन टाइम सेटलमेंट पालिसी के नाम पर प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाया। ऊना सदर के पूर्व विधायक व पिछले लोकसभा चुनाव में हमीरपुर से कांग्रेस प्रत्याशी श्री सतपाल सिंह रायज़ादा के 5 करोड़ 97 लाख रू. में से 3 करोड़ 15 लाख रू. माफ कर लाभ पहुंचाया। इसके अलावा भी अनेक प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुँचाने के आरोप इस बैंक के अधिकारियों पर लगे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है की जब तक इस पालिसी का पता आम आदमी को लगता, यह पालिसी बंद कर दी गई। हि.प्र. राज्य सहकारी बैंक की नोहराधार शाखा के सहायक प्रबंधक का भी 4 करोड़ रू. से अधिक का घोटाला सामने आया है परंतु सरकार के एक वरिष्ट मंत्री उसे बचाने में लगे हैं।
10 जुलाई 2024 को दी सुबाथु अर्बन को-ऑपरेटिव सोसाइटी में हुई करीब 18 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में सुबाथु की पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया है परंतु सरकार के कई कर्णधार उक्त आरोपी को बचाने में लगे हैं। राज्य सहकारी बैंक जंजैली में भ्रष्टाचार का एक मामला उजागर हुआ है जिसमें जांच अभी चल रही है परंतु सरकार के कारणधार दोषियों को बचाने का काम कर रहे हैं। दसवां देहरा राशन घोटाला, हिमाचल प्रदेश राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के देहरा स्थित राशन गोदाम में करीब एक करोड़ रुपये की कीमत के राशन का घोटाला हुआ। आरोपी राशन गोदाम इंचार्ज के जवाब से खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग के अधिकारी संतुष्ट नहीं है। अब आरोपी गोदाम इंचार्ज से विभागीय दंड संहिता के अंतर्गत गायब हुए राशन की बाज़ारी कीमत के अनुसार दोगुना जुर्माना वसूला जाएगा। फिलहाल गोदाम इंचार्ज को देहरा स्थित गोदाम से हटाकर जिला मुख्यालय में तैनात किया गया है। राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम की देहरा में राशन गोदाम है, जहाँ से क्षेत्र की 100 से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के लिए सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली के अंतर्गत दालें, चीनी, नमक, तेल, गंदम, आटा और चावल समेत अन्य खाद्य सामग्री पहुँचती है। लेकिन बीते माह गोदाम से करीब एक करोड़ क़ीमत का राशन गायब हो गया। गोदाम में इस राशन की एंट्री है, लेकिन उचित मूल्य की दुकानों पर यह राशन नहीं पहुँचा। डिपो संचालकों ने जब विभाग से इस बात की शिकायत की तो यह घोटाला उजागर हुआ । ग्यारहवां  ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट घोटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु अक्सर मंचों पर ग्रीन एनर्जी को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन प्रदेश के ऊना जिला के पेखुवेला में लगे 32 मेगावाट के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा गोलमाल हुआ है। इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन सीएम सुक्खु ने 15 अप्रैल 2024 को किया था और इस पर 220 करोड़ रुपय खर्च हुए। ऐसा ही एक प्रोजेक्
 
 
 
 
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