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हिमाचल

तीन.चार साल में एक बार अवश्य करवाएं अपनी मिट्टी की जांच

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October 22, 2024 06:02 PM
 
 
आनी:
 
आनी खंड के कुंगश में दी जांजा वैली किसान उत्पादक संघ के तत्वाधान में एक दिवसीय बागवानी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में नौणी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डॉ. विजय भारद्वाज, डॉ. दिशा ठाकुर, डॉ. शरद पंत और मशोबरा से डॉ. यूपेन्द्र शर्मा ने बागवानों को अपने.अपने विषयों से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। डॉ. विजय भारद्वाज ने सेब के बगीचों में मित्र कीटों के आने से उनके फायदे और शत्रों कीटों से होने वाली विभिन्न बीमारियों और उनके बचाव की विस्तृत जानकारी दी और साथ ही रूट स्टॉक पर बागवानी करने से पूर्व विभिन्न जानकारियों को साझा किया । वहीं डॉ. दिशा ठाकुर ने पौधों में न्यूट्रिशन को किस तरह पौधों के अनुसार किस मात्रा में देना है इसे पूरे विस्तारपूर्वक उन्होंने बागवानों को समझाया। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टा में पत्ते को देखकर भी अनुमान लगाया जा सकता है कि पौधे में किस तत्व की कमी है। उन्होंने कहा कि पत्ते के सैंपल से भी यह मालूम किया जा सकता है कि पौधे में किस न्यूट्रिशन की कमी है। जिसके लिए टॉप वाली ग्रोथ से बीच वाले पत्ते निकाल कर उन्हें परीक्षण के लिए भेज सकते हैं। इसके अलावा मिट्टी की जांच में स्पष्ट हो जाता है कि भूमि में किस चीज की कमी हैं डॉ. शरद पंत ने कार्यक्रम की पूरी भूमिका पर प्रकाश डाला और सभी विषयों को बागवानों के समक्ष रखा। वहीं मशोबरा से आए डॉ. यूपेन्द्र शर्मा ने मिट्टी प्रबंधन के बारे विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान बागवान अपनी मिट्टी को उपजाउ बनाने के लिए क्या.क्या साबधानियां रखें । उन्होंने कहा कि किसान.बागवान तीन या चार सालों में एक बार अवश्य अपनी मिट्टी की जांच करवाएं। उन्होंने मिट्टी सैंपल निकालने के तरीके भी बागवानों को बताए।
वहीं शिविर के उपरांत कुंगश के प्रगतिशील बागवान लच्छीराम के सेब बगीचे का भ्रमण किया गया। जिसमें विशेषज्ञों ने बागवानों को मिट्टी प्रबंधन , सही मात्रा में न्यूट्रिशन, सही काट छांट करने की बागवानों को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बागवान यदि वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करें तो कम जमीन से सेब की अधिक गुणवता युक्त पैदावार ले सकते हैं।
इस अवसर पर कुंगश पंचायत  के प्रधान राकेश ठाकुर, जांजा वेली किसान उत्पादक संघ के अध्यक्ष लच्छीराम, सचिव राजेश ठाकुर, सीईओ विनोद ठाकुर, गोविन्द, निक्काराम, जीआर भारद्वाज, रविन्द्र, रामधन, भागचंद, रमेश ठाकुर, तथा भोलूराम सहित दर्जनों बागवानों ने भाग लिया।
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