शिमला :
हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने ऊना जिले में अवैध खनन के बढ़ते मामलों पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने तीखे सवाल उठाते हुए कहा कि जब उपमुख्यमंत्री स्वयं मंच से अवैध खनन रोकने की अपील कर रहे हैं, तो प्रदेश में इसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी है?
बिक्रम ठाकुर ने कहा, "यह बेहद गंभीर स्थिति है कि ऊना जिले में ऐसा कौन सा व्यक्ति या गिरोह है जो सरकार से भी अधिक ताकतवर है और खुलेआम अवैध खनन कर रहा है। जब उपमुख्यमंत्री खुद मंच से अपनी असमर्थता प्रकट कर रहे हैं, तो यह साफ हो जाता है कि प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह विफल है।"
बिक्रम ठाकुर ने अवैध खनन पर कार्रवाई में सरकार की विफलता को लेकर तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, "सरकार को चाहिए था कि ऐसे माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई कर मिसाल कायम करे। लेकिन जब खुद सरकार के बड़े नेता सार्वजनिक मंचों पर अपील कर रहे हैं, तो यह उनकी अक्षमता को उजागर करता है। क्या यही 'व्यवस्था परिवर्तन' है, जिसका कांग्रेस ने चुनावों में वादा किया था?"
बिक्रम ठाकुर ने कहा कि ऊना में अवैध खनन न केवल पर्यावरण के लिए खतरा बन चुका है, बल्कि इससे सरकारी राजस्व को भी भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग इस समस्या को लेकर लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।पूर्व मंत्री ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा, "अवैध खनन को रोकने की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार और प्रशासन की है। अगर उपमुख्यमंत्री ही इस मुद्दे पर असहाय नजर आ रहे हैं, तो यह प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को उजागर करता है।"
बिक्रम ठाकुर ने सरकार से अवैध खनन के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि पर्यावरण और सरकारी राजस्व को बचाया जा सके।उपमुख्यमंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष ने प्रदेश सरकार पर दबाव और बढ़ा दिया है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर सरकार की नीतियों और कार्यशैली को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। बिक्रम ठाकुर ने कहा कि सरकार को तुरंत कार्रवाई कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अवैध खनन का गोरखधंधा पूरी तरह बंद हो।
वित्तीय कुप्रबंधन के कारण प्रदेश की जनता को संकट में डालने का जश्न मना रही काँग्रेस!
शिमला, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश वर्तमान में एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, जो कांग्रेस सरकार के कुप्रबंधन और लापरवाही का परिणाम है।
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित ₹6,200 करोड़ की ऋण सीमा को केवल 9 महीनों (अप्रैल से दिसंबर 2024) में ही खत्म कर दिया है। हालत ऐसे है कि सरकार ने अंतिम तिमाही के लिए अब नया ऋण लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राज्य को हर महीने वेतन और पेंशन जैसे जरूरी खर्चों के लिए ₹2,000 करोड़ की आवश्यकता होती है। इस महिने भी सरकारी कर्मचारियों को उनका वेतन मिल चुका है लेकिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन अभी तक नही मिली है। प्रदेश सरकार की यह स्थिति न केवल आर्थिक संकट को दर्शाती है, बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के प्रति सरकार की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है।
बरागटा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विकास के लिए आवश्यक राजस्व उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों, जैसे पर्यटन, उद्योग, और बागवानी, पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय कांग्रेस सरकार ने अपने कुप्रबंधन से राज्य को कर्ज पर निर्भर बना दिया है।
मुख्यमंत्री का यह बयान कि वेतन और पेंशन में देरी इसलिए की गई ताकि ऋण पर ब्याज बचाया जा सके, यह साबित करता है कि कांग्रेस सरकार किस प्रकार अपने आर्थिक कुप्रबंधन को छिपाने की कोशिश कर रही है।
हिमाचल प्रदेश को बेहतर प्रशासन और जिम्मेदार आर्थिक नीतियों की जरूरत है। कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों ने न केवल राज्य को कर्ज के बोझ तले दबा दिया है, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाई है।
बरागटा ने कांग्रेस द्वारा दो वर्ष पूर्ण होने पर किए जा रहे जश्न पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस इस बात का जश्न मना रही है कि उन्होंने वित्तीय कुप्रबंधन कर प्रदेश की जनता को संकट में डाला और प्रदेश को 20 वर्ष पिछे धकेल दिया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए लगातार हिमाचल प्रदेश की जनता को गुमराह करने में लगे है,जबकि कांग्रेस सरकार को अपनी गलतियों से सीख लेते हुए राज्य को इस वित्तीय संकट से निकालने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
प्रेषक:
चेतन सिंह बरागटा