शिमला,
हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा हिमाचल प्रदेश के तीन हिंदी रचनाकारों को उनके साहित्य सृजन में किए जा रहे उत्कृष्ट सृजन के लिए वर्ष 2024 के साहित्य सम्मानों की घोषणा की गई है। हिंदी आलोचना के क्षेत्र में उत्कृष्ट सृजन के लिए वरिष्ठ लेखक आलोचक डॉ.हेमराज कौशिक को "जीवन उपलब्धि सम्मान" तथा जगदीश बाली और डॉ.सत्यनारायण स्नेही को कविता और आलोचना के क्षेत्र में निरंतर सृजन के लिए "हिमालय साहित्य सृजन सम्मान" से नवाजा जाएगा।
वरिष्ठ आलोचक और शिक्षाविद डॉ. हेमराज कौशिक पिछले चार दशकों से साहित्य सृजन में सक्रिय हैं और हिंदी आलोचना में वे निरंतर महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। उनकी अब तक आलोचना की 18 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जिनमें अमृतलाल नागर के उपन्यास, निर्मल वर्मा : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, यशपाल का साहित्य : के विविधा आयाम, हिंदी आलोचना : स्थितिवेवनम गति और कथा समय की गतिशीलता प्रमुख हैं। वे लगातार देश के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं ने लिख रहे हैं। हिमाचल के कहानीकारों पर प्रति सप्ताह दिव्य हिमाचल में प्रकाशित हो रही कहानी आलोचना श्रृंखला खासा चर्चित है। उन्हें कई राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, दिव्य हिमाचल एक्सीलेंस अवार्ड और वेदराम राष्ट्रीय पुरस्कार मुख्य हैं। जिला सोलन के बातल कस्बे में वर्ष 1949 में जन्मे कौशिक जी ने हिमाचल शिक्षा विभाग में सैंतीस वर्षों तक हिंदी प्राध्यापक और प्रधानाचार्य के पदों पर सेवाएं दी हैं।
शिमला जिले के सुदूर गांव आहर में वर्ष 1971 में जन्में जगदीश बाली समान रूप से हिंदी और अंग्रेजी में लिखते हैं और जानेमाने कवि, आलोचक, कॉलमनिस्ट और मोटीवेटर हैं। "चल चला चल" इनकी पहली हिंदी की बेस्ट सेलर पुस्तक रही है। अंग्रेजी में इनकी "द स्पार्क इज़ विदिन यू" पुस्तक खूब चर्चित है। बाली जी ने इंडियन एक्सप्रैस में बतौर उप संपादक भी कार्य किया है। वे एक प्रखर व अभिप्रेरक वक्ता और कुशल मंच संचालक के रूप में लोकप्रिय हैं। इसी वर्ष इनका कविता संग्रह भी प्रकाशित हो रहा है।
डा. सत्यनारायण स्नेही चर्चित युवा आलोचक और कवि हैं तथा अनवरत सृजनरत है। उनकी अब तक पांच मौलिक और कई संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। इंटरनेट पर मेरा गांव कविता पुस्तक और समकालीन कविता का लोक, समकालीन कविता में लोक चेतना, अनुवाद विज्ञान, हिंदी व्याकरण एवं रचना, तकनीकी युग में भाषा और साहित्य पुस्तकों के साथ कई संपादित पुस्तकें और अनेक शोध पत्र प्रकाशित हैं। स्नेही हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में एसोसिएट प्रोफेशन के पद पर कार्यरत हैं। शिमला जिले के धरेच गांव में वर्ष 1974 में जन्मे स्नेही विद्यार्थियों और साहित्यकारों में लोकप्रिय चेहरा है
हिमालय साहित्य मंच तीनों हिंदी साहित्यकारों को ये सम्मान घोषित करते हुए गौरान्वित महसूस करता है और उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं देता है। ये सम्मान आगामी दिनों में शिमला में इस भव्य आयोजन में इन्हें प्रदान किए जाएंगे।
हिमालय मंच द्वारा इससे पूर्व हिमालय साहित्य मंच की स्थापना के बाद अनेक वरिष्ठ, युवा और छात्रों तथा शारीरिक रूप में अक्षम प्रतिभाओं को सम्मानित किया है।