हमीरपुर
पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में जंगली मुर्गा प्रकरण के चलते मीडिया कर्मियों पर एफआईआर दर्ज कर कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला किया है और यह कृत्य मीडिया की आज़ादी का गला घोंटने का प्रयास है। जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने पर आमादा है और यह रवैया सीधे तौर पर तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है।
राजेंद्र राणा ने कहा, "आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने सेंसरशिप लगाकर मीडिया की आवाज़ दबाने की जो कोशिश की थी, उसका खामियाज़ा उन्हें चुनावों में भुगतना पड़ा था। अब हिमाचल में कांग्रेस सरकार उसी तर्ज पर मीडिया पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही है।"
उन्होंने कहा कि मीडिया पर दर्ज प्राथमिकियों से यह साफ है कि सरकार आलोचना को बर्दाश्त करने के बजाय सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। राणा ने इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताते हुए कहा कि "यह घटनाक्रम प्रदेश के हर उस नागरिक के लिए चिंताजनक है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निष्पक्ष पत्रकारिता में विश्वास रखता है।"
लोकतंत्र के लिए खतरा
राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्रेस की स्वतंत्रता पर हो रहे हमले से प्रदेश की छवि धूमिल हो रही है। "मीडिया का काम सरकार की नीतियों की समीक्षा करना और जनता तक सच्चाई पहुंचाना है, लेकिन कांग्रेस सरकार इसे दबाने का कुत्सित प्रयास कर रही है।" उन्होंने मीडिया और पत्रकारों के खिलाफ की गई एफआईआर को तुरंत रद्द करने और सरकार को इस पर माफी मांगने की मांग की। उन्होंने चेताया कि यदि इस तानाशाही रवैये पर रोक नहीं लगी तो कांग्रेस को भविष्य में इसका भारी राजनीतिक खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा।
राजेंद्र राणा ने कहा कि मुर्गा प्रकरण पुरे सोशल मीडिया में चला था और समाचार पत्रों ने भी इसे प्रमुखता से उठाया था. अब इस प्रकरण में मीडिया पर पुलिस प्राथमिकी दर्ज करवाया जाना कांग्रेस सरकार की नीयत और नीति पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार आलोचना से इतनी भयभीत है कि मीडिया की आवाज़ को कुचलने पर उतर आई है? हिमाचल के नागरिक और लोकतांत्रिक ताकतें इस घटनाक्रम पर चुप नहीं बैठेंगी।