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राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह द्वारा 19 फरवरी, 2025 को जारी प्रेस वक्तव्य

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ब्यूरो हिमालयन अपडेट | February 19, 2025 05:14 PM

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू द्वारा दिए गए बयान को भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है। आज जारी एक प्रेस वक्तव्य में दोनों मंत्रियों ने कहा कि भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन की प्रारंभिक अनुमानित लागत लगभग 3,000 करोड़ रुपये थी, जिसमें केंद्र सरकार 75 प्रतिशत धनराशि देने के लिए प्रतिबद्ध है और भूमि अधिग्रहण की अनुमानित लागत 70 करोड़ रुपये आंकी गई है।
मंत्रियों ने बताया कि रेल लाइन के निर्माण की कुल लागत अब दोगुनी से बढ़कर 7,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इसके अतिरिक्त, भूमि अधिग्रहण की लागत बढ़कर 1,100 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 70 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि प्रदान करने से साफ इनकार कर दिया है, जिसके कारण भूमि अधिग्रहण पर पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है।
जगत सिंह नेगी और विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 1 मार्च, 2023 से वर्तमान राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश में रेलवे विकास परियोजनाओं के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड को लगभग 300 करोड़ रुपये का योगदान दिया है। यह केंद्रीय रेल राज्य मंत्री द्वारा किए गए दावों का खंडन करता है, क्योंकि उनके बयान तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
मंत्रियों ने कहा कि रेल मंत्रालय की वेबसाइट वार्षिक पिंक बुक प्रकाशित करती है, जिसमें एक वित्तीय वर्ष के लिए नियोजित रेलवे निर्माण परियोजनाओं की सूची होती है। हालांकि, नवीनतम पिंक बुक अभी तक अपलोड नहीं की गई है, जिससे यह दावा सत्यापित करना असंभव है कि हिमाचल प्रदेश के लिए 11,806 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मंत्रियों ने स्पष्ट किया कि यह राशि कोई विशेष अनुदान नहीं है, बल्कि केवल बजटीय अनुमान है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन के लिए 1,289 करोड़ रुपये के आवंटित बजट के मुकाबले केवल 325 करोड़ रुपये खर्च किए गए। जबकि वर्ष 2022-23 में 1,289 करोड़ रुपये में से केवल 730 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया और वर्ष 2023-24 में केंद्रीय बजट पेश होने तक आवंटित 1,289 करोड़ रुपये में से केवल 936 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में कुल 3,867 करोड़ रुपये के बजट के मुकाबले केवल 1,991 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री बिट्टू के बयान में तथ्यात्मक सटीकता का अभाव है। उन्होंने कहा कि ये बजटीय प्रावधान सभी राज्यों के लिए किए गए हैं और हिमाचल प्रदेश को कोई विशेष लाभ नहीं मिला है। इसके विपरीत, कुछ अन्य राज्यों को रेलवे परियोजनाओं के लिए काफी अधिक वित्तीय सहायता दी गई है।
जगत सिंह नेगी और विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि वर्ष 2014 से 2024 के बीच हिमाचल प्रदेश को उत्तराखंड के मुकाबले केंद्र सरकार से बहुत कम वित्तीय सहायता मिली है। उन्होंने कहा कि ऐसी वित्तीय सहायता केंद्र प्रायोजित योजनाओं का हिस्सा है, जो हिमाचल प्रदेश के लोगों पर कोई उपकार नहीं बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं, जबकि विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर जैसे अन्य भाजपा नेता संवैधानिक रूप से अनिवार्य वित्तीय सहायता को केंद्र सरकार की ओर से एक उदार संकेत के रूप में पेश करते हैं।
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