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केंद्र लगातार कर रहा हिमाचल की अनदेखी, कई बार मिल आए मंत्री

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ब्यूरो हिमालयन अपडेट | February 19, 2025 05:44 PM



उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा है कि केंद्र सरकार लगातार हिमाचल प्रदेश के साथ भेदभाव कर रही है। राज्य सरकार के कई मंत्रियों ने बार-बार केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिलकर अपनी बात रखी है, लेकिन आश्वासन के सिवा हिमाचल प्रदेश के लोगों को कुछ नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल की पहली बैठक में प्रदेश सरकार ने राज्य के 1 लाख 36 हजार एनपीएस कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की, जिससे नाखुश भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व एवं प्रदेश के नेताओं ने कर्मचारी विरोधी विचारधारा के चलते हिमाचल प्रदेश पर कई वित्तीय प्रतिबंध लगाए। पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बाद केंद्र ने हिमाचल को मिलने वाली ऋण सीमा में भारी कटौती की ताकि हमारी सरकार पर ओपीएस बंद करने का दबाव बना सके। केंद्र के पास एनपीएस के तहत प्रदेश के लगभग 9 हजार करोड़ रुपये फंसे हैं, जिसे केंद्र सरकार से वापिस लौटाने का बार-बारे आग्रह किया गया है। इस संबंध में कई बार प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर कर्मचारी एवं प्रदेश हित में इस राशि को लौटाने की मांग रखी है। इस संबंध में अभी तक केंद्र की तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। केंद्र सरकार एनपीएस की जमा राशि लौटाने के बजाए प्रदेश पर कर्मचारियों को पुनः एनपीएस अथवा यूपीएस के दायरे में लाने के लिए लगातार पत्र भेज रही है।
उद्योग मंत्री एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश पर अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदा आई थी। ऐसे बुरे वक्त में भी भारत सरकार ने राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए प्रदेश के लोगों की कोई सहायता नहीं की। स्वयं केंद्रीय दल ने आपदा उपरान्त आवश्यकता आकलन किया और हिमाचल में आपदा से हुआ नुकसान 9 हजार 42 करोड़ रुपये आंका था। लेकिन केंद्र ने हिमाचल प्रदेश के हितों का इस प्रकार तिरस्कार किया है कि लगभग दो वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के पश्चात आज तक प्रदेश को बतौर सहायता राशि एक रुपया भी नहीं दिया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू स्वयं भी कई बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर हिमाचल प्रदेश के हक को तुरंत जारी करने की मांग कर चुके हैं।
मंत्रियों ने कहा कि भाखड़ा बांध प्रबन्धन बोर्ड के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के प्रदेश के पक्ष में फैसले के बावजूद बीबीएमबी ने 4500 करोड़ रुपये का बकाया भी प्रदेश को नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार यह धनराशि राज्य को जारी कर दे तो हिमाचल आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को शीघ्र हासिल करेगा।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने पिछले बजट में भाजपा शासित आपदा प्रभावित राज्यों को सीधे आर्थिक मदद दी, जबकि हिमाचल प्रदेश के लिए मल्टीलेटरल डेवलेपमेंट अस्सिटेंट शब्द का इस्तेमाल किया गया। जब मदद की परिभाषा में ही भेदभाव था, तो हिमाचल प्रदेश को मदद कहां से मिलनी थी। यह केंद्र सरकार के सौतेले व्यवहार का स्पष्ट प्रमाण है।
हर्षवर्धन चौहान और राजेश धर्माणी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए विशेष राज्य का दर्जा देना तो दूर, केंद्र ने हिमाचल से उसका हक भी छीना है। हिमाचल प्रदेश के विकास को रोकने के लिए जानबूझ कर साजिशें की जा रही हैं, जिनमें प्रदेश भाजपा के बड़े नेता मुख्य भूमिका में हैं। नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर सहित अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता लगातार दिल्ली प्रवास पर जाते हैं, वहां केंद्रीय नेतृत्व से मिलते हैं और न जाने ऐसी क्या बातें वहां पर होती हैं कि हिमाचल संबंधी विकास कार्यों की गति धीमी पड़ जाती है या फिर धूल फांकती रहती हैं।

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