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विशेष

संस्मरण - ऐतिहासिक शाम 22 मार्च 2020

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हितेंद्र शर्मा | March 23, 2020 08:07 AM

शिमला,

पांच बजते ही शंखनाद, थालियों, घंटियों, और तालियों के साथ मंत्रमुग्ध जब मैंने आस-पड़ोस, गांव-शहर, प्रदेश-देश की ओर संचार माध्यमों से सभी को अपने प्रधानमंत्री की अपील का सम्पूर्ण सम्मान के साथ पालन करते देखा। मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया और आंखों से निरन्तर आंसू बहते जा रहे थे। इन पंक्तियों का स्मरण हुआ कि कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा, सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा। कोरोना वायरस के विरुद्ध पूरे देश की एकजुटता देख बेहद गर्व हुआ। इस महामारी से विश्व में अनेकों लोगों की मौतों से दिल आहत हैं। हमारे देश एंव प्रदेश की सरकार, प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दिन-रात हमारे बचाव के लिए निरन्तर संघर्ष किया जा रहा हैं। एक लेखक का हृदय ऐसा मंज़र देख कर भावुक हो रहा है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना के साथ हम भारतीय सम्पूर्ण विश्व के सुखी और रोगमुक्त रहने की प्रार्थना के साथ किसी भी प्राणी को दुख का भागी न बनना ऐसी कामना करते हैं। हमारी समृद्ध संस्कृति एंव संस्कार प्रेरणा देते हैं कि एक स्वर में एकसाथ की प्रार्थना प्रभावशाली होती है। भय और अशांति के वर्तमान वातावरण में सबके कल्याण, सुख और शांति के लिए हम एकजुट होकर इष्टदेव से प्रार्थना कर रहे है। कोरोना वायरस के साथ संघर्ष करते एक भावुक लेखक की कल्पना, काश भारत देश का हर नागरिक नशाखोरी, भ्रष्टाचार एंव भेदभाव के खिलाफ भी दिमाग की घंटी और तालियों के माध्यम से युवा पीढ़ी को बचाने के लिए समाज में चिट्टे जैसे अनेकों वायरसों के खिलाफ भी शंखनाद करें।

स्वच्छता, वृक्षारोपण एंव प्रकृति के संरक्षण हेतु वर्तमान में संघर्ष करने की आवश्यकता है। हमारा वातावरण, जलस्रोत और आसपास स्वच्छता रखने के लिए हमें संघर्षरत रहना होगा। देशहित में शतप्रतिशत लोगों ने आज भी एकजुटता नहीं दिखाई, बहुत से लोगों ने अपने-अपने स्तर पर जनभावनाओं का खूब मजाक बनाया। आखिर यह लोग कौन है? दुर्भाग्य से यह घमंडी लोगों की एक अद्भुत प्रजाति है। जिनका एकमात्र मकसद हमेशा दूसरों को नीचा दिखाना रहता है ताकि उनका कद सबसे ऊँचा नज़र आए। ऐसे लोग समाज की भलाई के लिए कभी कार्य नहीं करते, समाजिक एकता में भी इन्हें अंधविश्वास दिखाई देता है। घमंड का वायरस कोरोना से भी खतरनाक है लेकिन इसके नतीजे काफी समय बाद आते हैं। यह धीरे-धीरे इंसान को बर्बाद कर खत्म कर देता है। विश्व वर्तमान में एक गंभीर संकट से गुजर रहा है। लेकिन तथाकथित बुद्धिजीवियों और संकुचित मानसिकता के लोगों द्वारा गंभीर परिस्थितियों में भी भारतीयों का मजाक बनाकर स्वयं को क्या सिद्ध करना है?

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