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शिक्षा

मंडी परीक्षा केंद्र में कोरोना संक्रमित परीक्षार्थी छात्रा व अन्य छात्रों की जान की जिम्मेवारी लें सरकार।

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हिमालयन अपडेट ब्यूरो | August 31, 2020 04:21 PM

शिमला,

वैश्विक महामारी कोरोना विपदा के चलते एनएसयूआई द्वारा छात्रहित में शुरू की गई क्रमिक भूख हड़ताल आज चौथे दिन भी जारी है। इस क्रम में आज चौथे दिन की क्रमिक भूख हड़ताल में सोलन जिला अध्यक्ष तुषार स्तान और अमन चौहान अगले 24 घण्टों तक के लिए बैठे है। प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर ने मंडी कॉलेज की कोरोना संक्रमित परीक्षार्थी छात्रा व उसके साथ उस परीक्षा केंद्र में परीक्षा देने वाले सभी छात्रों की जान व स्वास्थ्य के जोखिम के लिए प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग को दोषी करार दिया है। छत्तर ठाकुर ने कहा कि शुरुआत में प्रदेश में जब प्रतिदिन 2 से 4 केस आ रहे थे तब सरकार ने परीक्षाओं के आयोजन को रद्द करवाया लेकिन वहीं जब आज कल प्रतिदिन 100 से 150 के लगभग रोजाना केस आ रहे हैं तो विद्यार्थियों के भारी विरोध के बावजूद भी जबरन परीक्षाएं करवाई जा रही है। एनएसयूआई के छात्रों द्वारा कोरोना संकट में छात्रों के स्वास्थ्य को खतरे का हवाला देने वाली दायर याचिका पर प्रदेश उच्च न्यायालय ने जब कॉलेज परीक्षाओं पर रोक लगाई थी तब तो प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर को परीक्षा केंद्र के अंदर व बाहर पूरी तरह सख्ती से लागू करने बारे व सरकार द्वारा छात्रों के स्वास्थ्य की जिम्मेबारी लेने बारे घोषणा पत्र कोर्ट में पेश किया था। उसी के बाद ही प्रदेश उच्च न्यायालय ने परीक्षा करवाने की अनुमति देते हुए रोक हटाई थी। छत्तर ठाकुर ने कहा कि सरकार, शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय की ज़िद व लापरवाही की वजह से आज प्रदेशभर के हज़ारों छात्रों की जान जोखिम में है। सरकार की इसी ज़िद व लापरवाही के कारण प्रदेशभर के छात्र और उनके अभिभावक काफी मानसिक परेशानियों से गुजर रहें है।

छत्तर ठाकुर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर से इस घटना की व प्रदेश के सभी छात्रों के जान की जिम्मेवारी लेते हुए मीडिया में आकर बयान देने की सख्त मांग की है। प्रदेश संगठन महासचिव मनोज चौहान ने कहा कि एनएसयूआई के छात्र कार्यकर्ता पिछले चार दिनों से कोरोना संकट में जेईई-नीट की परीक्षा स्थगित करवाने और कोरोना काल में छात्रों व अभिभावकों को राहत दिलवाने के लिए स्कूल और कॉलेज की कम से कम छह महीनों की फीस माफी की मांग को लेकर छात्र सत्याग्रह आंदोलन के तहत भूख हड़ताल में बैठे है। लेकिन सरकार व प्रशासन को छात्रों से कोई फर्क नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है। अभी तक प्रशासन की ओर से छात्रों की सुध लेने व मांगें सुनने कोई आया तक नहीं है। एनएसयूआई ने सरकार को चेताया है कि कोरोना संकट में सरकार छात्रों व अभिभावकों को कोई राहत नहीं देती तो वे क्रमिक से आमरण अनशन पर जाने से पीछे नहीं हटेंगे।

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