Friday, May 03, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
जिस फ़िल्म का डायरेक्टर फ्लॉप, हीरोइन कितनी भी सुपरस्टार हो उस फ़िल्म का फ्लॉप होना तय : मुख्यमंत्रीहिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार की 44वीं पुण्यतिथि पर किया याद दी श्रद्धांजलिजय राम ठाकुर ने विधानसभा में दी भगवान को चुनौती : सीएम मतदान के माध्यम से निभाएं जागरूक नागरिक का कर्तव्य - प्रो. यशपाल शर्मासोलन में बताया एक-एक वोट का महत्वः डॉ. पूनम बंसलईवीएम-वीवीपैट का पहले चरण का ऑनलाईन रेंडमाइजेशन पूर्णसुक्खू सरकार की गलत नीतियों से उद्योगों को हुआ पलायन काम करने वाले युवा हुए बेरोजगार :- बिक्रम ठाकुरभाजपा में तय होती है वरिष्ठ नेताओं की ‘एक्सपायरी डेट’ : पठानिया
-
कहानी

ढाई आखर प्रेम का; पुष्पा पाण्डेय

-
पुष्पा पाण्डेय | February 03, 2022 04:45 PM
पुष्पा पाण्डेय

 

प्रेम शाश्वत है, सत्य है और अपूर्ण है। वह कभी पुर्ण हो ही नहीं सकता है। जिस दिन प्रेम पूर्ण हो जायेगा, उसी दिन वह समाप्त हो जायेगा। जब-तक सृष्टि है, तब-तक प्रेम है, परमात्मा है।प्रेम ही तो परमात्मा है। जिस तरह परमात्मा असीम है, प्रेम भी असीम है।इसकी कोई सीमा नहीं है, असीमित है। एक सुखद एहसास है, जो सभी भावों का सिरमौर है। यह विशुद्ध पवित्र एक आन्तरिक भाव है। इसी लिये कबीर जी ने इस शब्द को तीन न कहकर ढाई कहा है। 'प' और 'म' के बीच आधा र् ही तो प्रेम है। सच्चे प्रेमी-प्रेमिका कभी प्रेम से तृप्त नहीं हो सकते हैं। जहाँ तृप्ति हुई वहाँ प्रेम था ही नहीं। वहाँ तो वासना थी, काम था। प्रेम गंगा की तरह पावन और पवित्र है। राधा-कृष्ण प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं। प्रेम कुछ मांगता नहीं, बल्कि सबकुछ दे देता है।यह किसी शर्त पर आधारित नहीं होता है और न ही इसकी कोई कीमत है। यह नैसर्गिक है।
मानव कृत्यों के कारण भले ही गंगा आज मैली हो गयी है, लेकिन जहाँ पवित्रता की बात आती है, गंगा सबसे आगे है। उसी तरह प्रेम परमात्मा स्वरूप है। भारतीय संस्कृति में मदनोत्सव मनाने की परम्परा है न कि वेलेन्टाइन डे। जैसे अग्नि, जल, पवन आदि सभी के देवता हैं वैसे ही प्रेम के देवता हैं-कामदेव। माध शुक्ल पंचमी के दिन कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ इस धरती पर अवतरित होते हैं और दो महीना विचरण करते हैं। प्रेम और ऊर्जावान हो उठता है। जीव मात्र इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता है। जीव तो जीव, वनस्पति भी इस प्रेम का आलिंगन करती है। धरती पीली चूनर की आड़ में मुस्कुराती है।
प्रेम सिर्फ प्रेम है, असीमित है, अपूर्ण है, आधा है।

स्वरचित

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और कहानी खबरें
-
-
Total Visitor : 1,64,89,282
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy