लखनऊ,
कान्हा तेरी याद, हमें अब बहुत सताती |
.बंशी प्यारी तान , सभी का मन हर्षाती ||
गोपी करती नेह, बुलाती रहती सारी |
खोजे ब्रज के धाम, लगाओ मन गिरधारी ||
माटी खायी श्याम, दिखा मुख अब तो लाला |
माखन मिसरी भोग, लगा कर हरदिन पाला |
दिखा दिया ब्रम्हांड, यशोदा सब बिसरानी |
कान्हा रूप अनूप, हुई बेसुध मन जानी ||
ह्रदय पुकारे श्याम,मोहिनी है छवि प्यारी |
दर्शन दे दो आज, बसी है सूरत न्यारी ||
बैठी यमुना तीर, राधिका मुरली सुनती |
सुंदर है मुस्कान, भाव है मन में गुनती ||
सुनकर मुरली तान, राधिका दौड़ी आयी |
काले -काले मेघ, घटा अब काली छायी |
रास रचाते श्याम, संग में गोपी ग्वाला |
सखा बजाए ढोल, नाचता मुरली वाला ||