गुरुग्राम,
शिक्षाविद सुप्रसिद्ध कवियत्री दीपशिखा श्रीवास्तव 'दीप' के दो काव्य संग्रह, कुछ मैं कहूँ, कुछ तुम सुनो एवम् 'ख्वाबों की खुरचन' का लोकार्पण सुप्रसिद्ध साहित्यकार लक्ष्मी शंकर बाजपेई की अध्यक्षता में सम्पन्न। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्व ख्याति प्राप्त कवि दिनेश रघुवंशी थे। विशिष्ट अतिथिगण में साहित्यकारा वीणा अग्रवाल, ममता किरण, ट्रू मीडिया के ओम प्रकाश प्रजापति,समाजसेवी सुश्री अलका दलाल, प्रसिद्ध दोहाकार मनीष बादल, प्रसिद्ध समाजसेवी पत्रकार शम्भू पंवार थे। दीपशिखा 'दीप' ने स्वागत उद्बोधन दिया। प्रीति पाठक प्रीति की सरस्वती वन्दना से आरम्भ हुई।
इस भव्य आयोजन में कवयित्री दीपशिखा श्रीवास्तव 'दीप' की इन दोनों काव्य संग्रह की चुनिंदा कविताओं का पाठ विभिन्न साहित्यकारों द्वारा किया गया । प्रारम्भ में दीप प्रज्जवलित व माल्यार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। पहली काव्य संग्रह का 'कुछ मैं कहूँ कुछ तुम सुनो' की समीक्षा कवियत्री वीणा अग्रवाल 'वीणा' द्वारा की गयी। ख्वाबों की खुरचन' की समीक्षा शकुन्तला मित्तल द्वारा की गई। ग्रीन अर्थ होटल के सभागृह में खचाखच भरे देश के कई प्रान्तों से आये साहित्यकारो एवं रचनाकारों की तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस आयोजन को ऊंचाईयां मिलती रही। इस साहित्यिक आयोजन का सफल संचालन अंजू सिह ने किया।
मुख्य अतिथि दिनेश रघुवंशी ने इस अवसर पर 'गीत तुम्हारे तुमको सौंप सकूँ शायद,बस्ती बस्ती गीत लिये फिरता हूँ। तथा दीपशिखा दीप को शुभकामनाएं दी। अध्यक्ष साहित्यकार लक्ष्मीशंकर वाजपेई ने इन दोनो पुस्तकों के विमोचन के अवसर पर कवियत्री दीपशिखा श्रीवास्तव को बधाई दी एवं साहित्य के क्षेत्र मे उज्जवल भविष्य की कामना की | सभी विशिष्ट अतिथियों ने भी दीपशिखा 'दीप' को इस लोकार्पण में भरपूर स्नेह व बधाई दी।
दीपशिखा दीप ने - " गुमशुदा है इंसान,तलाश अभी बाकी है,
सुना है बुत मे है भगवान,तराश अभी बाकी है। " पंक्तियाँ पढ़ीं तो सम्पूर्ण हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो गया। शिमला ( हिमाचल प्रदेश) से हिमालयन अपडेट के अनिल जमवाल, चिड़ावा (राजस्थान) से शम्भू पंवार हल्द्वानी (उत्तराखंड ) से मंजुला आर्य मन, मंजुला पांडेय मेरठ (उत्तर प्रदेश ) से मनुलक्ष्मी मिश्रा, नोयडा ट्रू मीडिया के ओम प्रकाश प्रजापति,
नीरज श्रीवास्तव नवदीप राखलीवाल,जया राखलीवाल, गायत्री कुमार, बी.बली, प्रीति मिश्रा, शकुंतला मित्तल, मनीष बादल, चांदनी केसरवानी,डॉ सविता स्याल, त्रिलोक नरेंद्र गौड़, विमलेन्दु सागर, त्रिलोक कौशिक, मोनू राघव, सविता गुप्ता, इन्दर गुप्ता, मीनाक्षी सक्सेना, चितौड़गढ़ से प्रह्लाद मराठा " क्रांति "
हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व महा निदेशक मुक्ताजी, इन्दू निगम, राजेन्द्र निगम, सुजीत कुमार, केशव मोहन, जे .पी द्विवेदी, ऋतंभरा मिश्रा, आभा कुलश्रेष्ठ, हरिन्द्र यादव, संजीव श्रीवास्तव, सुशीला यादव, मोनिका शर्मा, मीना चौधरी, राजेश्वर वशिष्ठ आदि पचास से भी अधिक रचनाकार उपस्थित रहे |
इस तरह इस काव्य संग्रह के विमोचन में उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड, राजस्थान, दिल्ली हरियाणा आदि प्रदेशों के रचनाकार हुए एक मिनी भारत के दर्शन देखने को मिला इस आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है |