आनी,
आनी के रघुपुरगढ़ और जलोड़ी जोत के ये चमत्कारिक जलाशय सदियों से आज तक अपनी पवित्रता का प्रमाण देते आए हैं। रखाल नामक औषधीय पेड़ की लकड़ी से बनी ये बाबड़ियाँ कई सौ साल वाद आज भी वैसी ही सुरक्षित हैं। प्राचीन परंपरा अनुसार जब भी इन चोटिओं पर देव या काली पूजन हवन यज्ञ किए जाते हैं तो पहले दिन इन पवित्र जलाशयों को साफ किया जाता है और अगले ही दिन इन जलाशयों में प्रयुक्त निर्मल,शीतल व पवित्र जल निकल आता है। विशेषता यह कि यहाँ आने बाले श्रद्धालुओं को इस गगनचुम्बी स्थान पर पानी की कमी नहीं होती। ये चमत्कारिक और पवित्र स्थल हमारी संस्कृति की धरोहर हैं। इन्हें सुरक्षित रखना हम सब का परम् दायित्व बनता है।