शिमला,
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने कहा शिमला जिला के किसान यशवंत सिंह की गाथा सुन करके बहुत पीड़ा हुई, जब एक किसान को मजबूरी में अपने फल, सेब और नाशपती को नदी में बहाना पड़ा उसकी दर्द और पीड़ा तो केवल किसान ही समझ सकता है।
लेकिन देश की डेमोक्रेसी में किसानों को अपनी आवाज़ उठाने के लिए मौलिक अधिकार मिलता है, जब टमाटर की कीमत कम हुई थी तो सड़कों पर फेंकने पड़े थे, जब दूध की कीमत कम हुई तो किसानों ने दूध को सड़कों पर बहाया था और जब प्याज की कीमत कम हुई तो किसानों को अपने प्याज पर ट्रैक्टर चलाना पड़ा गया था। हमारे किसान भाई यशवंत ने भी यही किया।
उन्होंने कहा जब हमारे किसान भाई का सेब मंडियों तक नहीं पहुंच पाया और मंडियों में उसका दाम कम मिल रहा था, तो उन्हें इस सेब को बहाना पड़ा। यह इतिहास में पहली बार ही हुआ है कि हिमाचल प्रदेश के सेब बागबान अपना सेब मंडियों तक नहीं पहुंचा पाए। उसका कारण सड़कों की दुर्दशा और भरी बारिश थी।
पडसारी जेबली रोड को बनाने में सरकार नाकाम रही, 4 जुलाई से यह सड़क बंद थी और इसी कारण सेब की गुणवत्ता गिरने के कारण उसे सेब को नदी में परवाह करना पड़।
दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि अगर उस किसान को अपना सेब पानी में भरना पड़ा तो सरकार उसको सांत्वना देती, पर उसके बजाय सरकार ने उस पंचायत के प्रधान और उपप्रधान व किसान को धमकाना शुरू किया। उनको डराया गया और कहा गया कि उन पर एफआईआर दर्ज की जाएगी, भाजपा इसकी घोर निंदा करती है।
भाजपा इस कांग्रेस सरकार के रवैया का खंडन करती है, हालत यह है कि मुख्यमंत्री ने शिमला जिला का प्रवास बनाया था जब उनका उड़न खटोला नहीं उड़ सका तो उन्हें किसानों का दुख दर्द बांटने के लिए सड़क मार्ग से जाना चाहिए था ना कि अपने द्वारा कैंसिल करना चाहिए था।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर किसानों के बीच में गए और उन्होंने उनका दुख बांटा, उनकी स्थिति को देखने के लिए वह जहां जुब्बल कोटखाई गए वहां से रोहडू भी गए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से कुछ बातें जरूर सीखनी चाहिए।
भाजपा किसान यशवंत की संवेदना को समझती है और उनके साथ खड़ी है।
भाजपा उन लोगों के साथ भी खाड़ी है जिनको यह सरकार धमकाने की कोशिश कर रही है और अगर जरूरत पड़ी तो भाजपा इनके लिए सड़कों पर भी उतरेगी।
उन्होंने कहा काश अगर सरकार एचपीएमसी के कलेक्शन सेंटर समय पर खोल देती तो शायद यह नौबत ना आती।