हिमाचल
बेटियां सभ्यता और समाज की अमूल्य धरोहर : कैप्टन रणजीत सिंह राणा
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रजनीश शर्मा। | February 22, 2025 05:58 PM
हमीरपुर
बेटियां हमारी सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। वे समाज का प्रथम और सर्वाधिक मजबूत स्तंभ तथा ईश्वर से मानवता को मिला सबसे कीमती उपहार हैं। इनके स्वाभिमान और सम्मान से ही मानव समुदाय शांति एवं सद्भावना की पवित्र डोर से बंधा है। अतः एक सभ्य समाज के रूप में हमें मानवता की इस सांझी विरासत को सहेज कर रखना चाहिए । उक्त विचार सुजानपुर के विधायक कैप्टन रणजीत सिंह राणा ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत डीपीओ हमीरपुर एवं सीडीपीओ टौणी देवी की सौजन्य से विकासखंड बमसन की 33 पंचायतों से विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाली 103 चैंपियन बेटियों के लिए माता टौणी देवी मंदिर प्रांगण में आयोजित प्रेरक संवाद एवं सम्मान समारोह में बेटियों एवं उनके अभिभावकों से रूबरू होते हुए कही। उन्होंने कहा कि बेटियां सुखद भविष्य की संभावनाएं और मंगल आशाएं हैं। वे ग्रीष्म ऋतु में हवा के शीतल झोंके की तरह निराश मन में आशा का संचार करने वाली होती हैं। अपनी उर्वरा शक्ति के कारण वे न केवल सभ्यता अपितु सकारात्मकता की भी वाहक हैं। उनकी उपस्थिति मात्र ही माहौल को शिष्टता और सुख से भर देती हैं। दुर्भाग्यवश प्रतिस्पर्धी होते समाज और व्यावसायिक सोच ने मानवीय संबंधों को भी लाभ और हानि के तराजू में तोलना आरंभ कर दिया और उसे सामाजिक और आर्थिक हितों की दृष्टि से देखा जाने लगा। सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पुरुषों को महिलाओं से अधिक उपयोगी समझने की प्रवृत्ति (सोच) ने महिलाओं और बेटियों को सामाजिक क्रम में पीछे धकेल दिया। वास्तव में यह एक बड़ी सामाजिक और मानसिक भूल थी जिसने हमारे समाज को रूढ़ीवादी और पिछड़ा बना दिया। वास्तविक सत्य इससे भिन्न था। प्रतिस्पर्धी और प्रगतिशील समाज केवल समानता और सम्मान के सिद्धांतों पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा समाज पूर्वाग्रह के आधार पर या जजमेंटल होकर निर्णय नहीं लेता अपितु सभी को समान और न्यायोचित अवसर प्रदान कर अपनी योग्यता और सामर्थ्य सिद्ध करने का मौका देता है। जिन समाजों ने इस तथ्य को जल्दी समझ लिया आज वे प्रगति के शिखर पर हैं। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का उद्देश्य प्रगतिशील एवं प्रतिस्पर्धी समाज के इन्हीं मूल्यों की पुनः स्थापना करना है। इससे पूर्व संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट अनुभव एवं विशेषज्ञता रखने वाले वक्ताओं ने बेटियों को जीवन और समाज उपयोगी विषयों पर प्रेरणादायक विचारों एवं जानकारी से अवगत कराया। सीडीपीओ टौणी देवी कुलदीप सिंह चौहान ने बेटियों से संवाद करते हुए कहा कि चैंपियन बेटी संवाद का उद्देश्य बेटियों को प्रेरित करना तथा उन्हें अपनी क्षमताओं, सृजनात्मक कौशल, ज्ञान और अनुभवों को सांझा करने का अवसर प्रदान करना है ताकि वे भावी जीवन में आने वाली कठिनाइयों और उपलब्ध संभावनाओं को अवसरों में बदलने की कला मैं पारंगत हो सकें । ऐसे आयोजन युवाओं को जीवन शिक्षा देकर उन्हें भावी जीवन के लिए परिपक्व बनाते हैं तथा उनके आत्मविश्वास में वृद्धि कर उन्हें उच्च स्तरीय नेतृत्व के लिए तैयार करते हैं। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय टौणी देवी के प्रधानाध्यापक श्री रजनीश रांगड़ा ने शिक्षा को बदलाव का सबसे सशक्त साधन बताते हुए बेटियों को शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ने तथा उसके माध्यम से सामाजिक बदलाव का अग्रदूत बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा सामाजिक भागीदारी हेतु आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है और वर्तमान में सामाजिक सोपान में जो परिवर्तन हम देख रहे हैं वह शिक्षा में बेटियों की बढ़ती भागीदारी का ही परिणाम है। बीडीओ बमसन सुश्री वैशाली शर्मा ने ग्रामीण विकास में युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि युवा बेटियां चुनौतियों को स्वीकारने की क्षमता, नए अवसरों के सृजन की कला और रचनात्मकता के बल पर ग्रामीण विकास को नई दिशा दे सकती हैं। उन्होंने युवाओं से ग्रामीण विकास में सलाहकार, सहभागी व नए अवसरों की प्रणेता बनकर समाज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया। इस अवसर पर चैंपियन बेटियों को स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र, प्रेरक पुस्तकें एवं नेम प्लेट भेंट देकर सम्मानित किया गया।
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