मण्डी,
हेमराज ठाकुर प्रशिक्षित भाषा अध्यापक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला धंग्यारा ने बताया कि उनकी पाठशाला में उप प्रधान ग्राम पंचायत धिश्ती द्वारा गुप्त अनुदानी सज्जन के माध्यम से पाठशाला को एक कक्ष बनाने के लिए दिए गए पैसों से बनाए गए नव निर्मित कक्ष का उद्घाटन गुप्त अनुदानी सज्जन की इच्छा अनुसार दो छोटी छोटी बेटियों अनुष्का और अवनी के द्वारा कराया गया। उन्होंने बताया कि ऐसे अनुदानी सज्जन के प्रति कृतज्ञता तो तब प्रकट होती है जब वे लगभग रू छः लाख की लागत से कक्ष का निर्माण पाठशाला में करते हैं पर अपना नाम किसी को भी बताने के लिए मना करते हैं। ठाकुर ने बताया कि आज विश्व योग दिवस के अवसर पर इस पुनीत कार्य का उद्घाटन करना ऐसी महान विभूति के के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की भावना को व्यक्त करना है, जो इस आपाधापी के दौर में भी विद्यालय , शिक्षा और शिक्षार्थी के प्रति निस्वार्थ और गुप्त अनुदान की सोचता है। ठाकुर ने बताया कि विद्यालयों के प्रति जिस तरह की सोच आज समाज में बनती जा रही है कि इन्हे बनाना तो सरकार का ही काम है। यह निर्माण और उद्घाटन उस विकृत होती जा रही मानसिकता के लिए भी एक उदाहरण और प्रेरणा है। ठाकुर ने बताया कि पाठशालाओं को उन्नत करने के लिए समाज के हर किसी समर्थ और सम्मान व्यक्ति को आगे आना चाहिए, जो दान देने का समर्थ रखता हो। ऐसी महान विभूतियां अपने आसपास की बड़ी बड़ी पाठशालाओं में अनुदान से शैक्षणिक , ढांचागत और उपकर्णातमक वस्तुएं बना या दिला कर छात्रों और शिक्षकों की मदद कर सकते हैं,जिससे उन्नत व गुणातम शिक्षा की संभावना और सुदृढ़ हो सकती है। शिक्षा को समाज की संजीवनी बताते हुए उन्होंने बताया कि शिक्षण संस्थानों में दिया गया अनुदान अक्षरशः समाज के उत्थान के लिए और भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए प्रयुक्त होता है तो दान की क्षमता रखने वाले हर सज्जन की खुल कर इस दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। इस अवसर पर पाठशाला के प्रधानाचार्य बेली राम ने गुप्त अनुदानी सज्जन और ग्राम पंचायत धिश्ती के उप प्रधान मुरारी लाल राणा उपस्थित जिला परिषद हुकम ठाकुर, एस एम सी प्रधान गुलशन राज और उनकी समस्त कार्यकारणी , योगेंद्र शर्मा, देवेन्द्र सिंह आदि गणमान्य व्यक्तियों का भी इस पुनीत कार्य के लिए पाठशाला परिवार की ओर से धन्यवाद अदा किया। प्रधानाचार्य ने समाज में ऐसे प्रेरणादाई कार्य करने वाले प्रत्येक महानुभाव का दिल की गहराई से आभार व्यक्त करने का भी समाज से आवाह्न किया ताकि ऐसी विभूतियां अपने किए कार्यों पर गर्व महसूस कर सके।