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हिमाचल

नौणी के मधुमक्खी केंद्र ने जीता सर्वश्रेष्ठ केंद्र पुरस्कार

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ब्यूरो हिमालयन अपडेट | October 15, 2024 06:25 PM

सोलन 

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में मधुमक्खियों और परागणकों पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (ए.आई.सी.आर.पी. एच.बी.एंड.पी.) ने अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र का पुरस्कार अपने नाम किया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान हाल ही में पालमपुर में आयोजित एआईसीआरपी की वार्षिक समूह बैठक में प्रदान किया गया।

बैठक की अध्यक्षता डॉ. टी.आर. शर्मा, आईसीएआर उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) और डॉ. पूनम जसरोटिया, सहायक महानिदेशक (पौध संरक्षण और जैव सुरक्षा) ने की। इस बैठक में देश भर के 25 एआईसीआरपी केंद्रों से वर्ष 2023-24 के लिए अपने शोध कार्यों को प्रदर्शित करते हुए प्रस्तुतियां दीं। इस कार्यक्रम में परियोजना समन्वयक डॉ. सचिन सुरोशे, विषय विशेषज्ञ और देश भर के सभी एआईसीआरपी केंद्रों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

 उनके निष्कर्षों से पता चला कि मधुमक्खी परागण से उपज और अन्य आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मापदंडों में काफी वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, केंद्र ने प्राकृतिक खेती प्रणालियों में मधुमक्खियों के उपयोग से पाया कि पारंपरिक खेती के तरीकों की तुलना में प्याज और सूरजमुखी के बीज की उपज, अंकुर वृद्धि और अंकुरण दर में सुधार के लिए इसे प्रभावी पाया। केंद्र रॉयल जेली उत्पादन में वृद्धि के लिए एपिस मेलिफेरा के चयनात्मक प्रजनन में भी कार्य कर रहा है और भँवरा पालन तकनीक विकसित करने पर काम कर रहा है।

कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने परियोजना अन्वेषक डॉ. किरण राणा और सह-पीआई डॉ. मीना ठाकुर सहित समस्त टीम के साथ-साथ कीट विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. सुभाष वर्मा को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने राज्य में प्रबंधित मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने और मधुमक्खी पालन के विभिन्न पहलुओं में अनुसंधान को आगे बढ़ाने में उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कृषि उत्पादकता बढ़ाने में परागण की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और देश के सर्वश्रेष्ठ केंद्रों में लगातार स्थान पाने के लिए केंद्र की सराहना की।

अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान, बागवानी महाविद्यालय के डीन डॉ. मनीष शर्मा और सभी वैधानिक अधिकारियों ने भी इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए टीम को बधाई दी।

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