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बसंत पंचमी: डॉ विनोद नाथ

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संपादकीय | February 02, 2025 08:10 AM
चित्र: साभार गूगल

बसंत पंचमी भारतीय हिन्दू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे खासतौर पर उत्तर भारत, बंगाल और अन्य हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से मां सरस्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो विद्या, संगीत और कला की देवी मानी जाती हैं।

बसंत पंचमी को बसंत ऋतु का स्वागत करने के रूप में भी मनाया जाता है, और इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं, जो इस ऋतु के हर्षोल्लास और रंग-बिरंगे फूलों का प्रतीक होते हैं। यह पर्व प्रायः माघ माह की पंचमी तिथि को पड़ता है, जो फरवरी माह के आसपास आता है। दिन विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए विशेष होता है। मां सरस्वती की पूजा कर बुद्धि और विवेक की प्रार्थना की जाती है। संगीतकार, कलाकार, लेखक और अन्य सृजनशील लोग इस दिन विशेष रूप से सरस्वती पूजा करते हैं।
बसंत पंचमी वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जब प्रकृति में हरियाली, फूलों की बहार और नई ऊर्जा देखने को मिलती है।
यह रंग उल्लास, समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना और भोजन में पीले व्यंजन (जैसे केसर भात, हलवा) बनाना शुभ माना जाता है।
इस समय फसलें पकने लगती हैं, विशेषकर सरसों के खेत पीले फूलों से भर जाते हैं, जो इस पर्व की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
बसंत पंचमी को शुभ मुहूर्त माना जाता है, इसलिए इस दिन विवाह, गृह प्रवेश और नए कार्यों की शुरुआत करना शुभ होता है।

बसंत पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि ज्ञान, कला, प्रकृति और उत्साह का उत्सव भी है, जो जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है।

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