शिमला
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण, समान और समावेशी शिक्षा प्रदान करने के लिए यूनेस्को के साथ साझेदारी करेगी। सरकार शिक्षा प्रणाली में और अधिक सुधार लाने के लिए सहयोग के संभावित क्षेत्रों का पता लगाएगी और यूनेस्को के साथ शीघ्र ही एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। वह आज यहां यूनेस्को के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा हमेशा से इस पहाड़ी राज्य की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि वर्तमान में राज्य की साक्षरता दर 83 प्रतिशत से भी अधिक है जबकि वर्ष 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के समय हमारी साक्षरता दर मात्र 7 प्रतिशत थी। पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता में कुछ हद तक गिरावट देखने में आई है। इसके दृष्टिगत वर्तमान प्रदेश सरकार ने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं। इन प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं और हाल ही में जारी राष्ट्रीय रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई है। राज्य सरकार ने कुल राज्य बजट का लगभग 20 प्रतिशत अकेले शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किया है, जो इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रदेश सरकार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल खोल रही है, जहां सभी आधुनिक सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगी, ताकि छात्र आत्मविश्वास के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के छात्रों में सीखने का स्तर सबसे अधिक है तथा शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक समय की मांग के अनुसार सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यूनेस्को के साथ दीर्घकालिक साझेदारी इन प्रयासों को और मजबूत करेगी।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा कि विभिन्न शिक्षण संस्थानों से एक ही शिक्षक को चुनने के बजाय, किसी विशेष संस्थान के सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे एक टीम के रूप में कार्य करके बेहतर परिणाम ला सकें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थान बुनियादी सुविधाओं से युक्त हैं, इनमें उच्च नामांकन दर है और प्राथमिक विद्यालयों में लिंगानुपात सामान्य है। इसके अलावा प्रदेश के दूरस्थ गांव तक सरकारी स्कूलों की पहुंच है तथा व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा आधारित पाठ्यक्रम भी पूरे राज्य में सफलतापूर्वक चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में प्रदेश सरकार ने स्कूलों के कलस्टर बनाए हैं जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
यूनेस्को की कार्यक्रम विशेषज्ञ और शिक्षा प्रमुख जॉयस पोआन ने कहा कि यूनेस्को शिक्षा क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करने में अग्रणी है। हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षित करने के लिए पांच साल की अवधि के लिए राज्य सरकार के साथ साझेदारी करने के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित करने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अनुभवों को साझा करने के अलावा, खण्ड स्तर तक आदान-प्रदान कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
समग्र शिक्षा के विशेष परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने प्रदेश में शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर प्रस्तुति देते हुए कहा कि यूनेस्को की सहायता से प्रदेश सरकार स्कूलों को नवाचार और उत्कृष्टता के केंद्रों में बदलने के लिए तत्पर है।
बैठक में निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमरजीत शर्मा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा आशीष कोहली तथा यूनेस्को प्रतिनिधिमंडल के सदस्य श्रद्धा चिकरूर एवं शैलेन्द्र शर्मा ने भी अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।