केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक की अध्यक्षता की।
शिमला
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक पर्वतीय राज्य है और यहां की भौगोलिक स्थिति अन्य राज्यों से भिन्न हैं। हमारे प्रदेश में सीमित संसाधन है। प्रदेश में ज्यादा बड़े व्यापारिक केन्द्र नहीं है। जीएसटी के एक मूल सिद्धांत के अनुसार ‘बिजनेस टू कंज्यूमर’ की व्यवस्था के तहत कर प्राप्ति का अधिकार बनता है, जिससे हमारा प्रदेश वंचित है।
उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदेश में बड़े व्यापार उद्योग न होने के कारण प्रदेश के लोग प्रदेश में उपयोग होने वाली बड़ी मशीनरी, कंमर्शियल व घरेलू वाहन, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुडज इत्यादि की खरीद प्रदेश के साथ लगते बड़े महानगरों दिल्ली, चण्डीगढ़, पंजाब से करते हैं, जिससे प्रदेश के हिस्से में आने वाले जीएसटी का लाभ प्रदेश को नहीं मिल पाता जो कि जीएसटी की मूल भावना के विरूद्ध है।
उन्होंने प्रदेश के हितों की रक्षा की बात को दोहराते हुए कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न मामले केन्द्र सरकार से उठाए हैं। उद्योग मंत्री ने बैठक में कहा कि जीएसटी प्रणाली के तहत सभी प्रकार का कर सभी खरीद पर होना चाहिए, किंतु हमें ये अधिकार नहीं मिल पा रहा है।
उद्योग मंत्री ने बैठक की अध्यक्षता कर रही देश की केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं उपस्थित केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से अनुरोध किया कि प्रदेश में जीएसटी के मूल सिद्धांत एजैंडा आईटम नम्बर 7 (III) के अनुसार पूर्ण अधिकार का अनुमोदन करने का अनुरोध किया।
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कुल्लू शॉल और कांगड़ा चाय भी भेंट की।
इस बैठक में प्रधान सचिव (आबकारी एवं कराधान) संजय कुंडू व आवकारी कराधान आयुक्त डॉ. अजय शर्मा उपस्थित थे।