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कविता

पर्यावरण रक्षक कोरोना

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प्रीति शर्मा "असीम " | June 05, 2020 07:11 AM

 

मानव पर्यावरण संरक्षण के नारे लगाता था ।
हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाता था।

जल प्रदूषण, गाड़ियों का, फैक्ट्रियों का धुआं कम करें।

घटते वन्य जीवन और जैवीय दुष्प्रभावों का कुछ मनन करें।

जनसंख्या विश्व की अगर इसी तरह बढ़ेगी ।

विश्व वृद्धि से पर्यावरण की गति घटेगी।

मानव बस नाटकीय सोपान पर चिल्लाता रहा ।

पर्यावरण का गला घोट जीव-जंतुओं को खाता रहा।

अधिनियम बनाता रहा।प्रदूषण के नाम पर पर्यावरण सरंक्षण को भक्षक बन खााता रहा।

कोरोना रक्षक बनकर आया।पर्यावरण को दूषित मुक्त बनाया।

सारे प्रदूषण साफ कर दिए।मानव को घर में कैद कराया।

कोरोना तो सचमुच पर्यावरण का रक्षक बनकर आया।


प्रीति शर्मा "असीम "
नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

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