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कविता

हिंदी का विकास

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प्रीति शर्मा असीम | September 14, 2020 12:27 AM

*हिंदी का विकास*
*(दोहा गजल)*

हिंदी में ही बात हो,हिंदी में दिन रात।
हिंदी में सूरज उगें ,हिंदी में हो प्रात।।

हिंदी से ही प्रेम कर,हिंदी पर कर गर्व।
हिंदी की प्रिय भीड़ में,हिंदी की बारात।।

हिंदी ही त्योहार हो,हिन्दी ही हो पर्व।
बन परंपरा यह करे,मानव की शुरुआत।।

हिंदी बनकर मेघ प्रिय,घूमे चारोंओर।
सकल भूमि पर नित करे,अमृत की बरसात।।

हिंदी में चिन्तन चले,हिंदी में ही लेख।
हिंदी में कविता खिले,रख हिंदी से नात।।

हिंदी मुंशी प्रेम की,जयशंकर की देन।
महादेवियों की यही,हिंदी है शिवरात।।

हिंदी को प्रोन्नीत कर,स्पर्श करे आकाश।
जागो उठ धारण करो ,हिंदी का जेवरात।।

फैला दो इस विश्व में,अब हिंदी का जाल।
आये सबकी समझ में,हिंदी की औकात।।

रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801

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