शिमला,
नंद लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री चाउना मीन से नई दिल्ली स्थित अरुणाचल प्रदेश भवन में भेंट की । शर्मा ने '' जल विद्युत के त्वरित विकास के जरिए अरुणाचल प्रदेश की समृदि्ध'' विषय पर सफल सेमिनार आयोजित करने के लिए उन्हें बधाई देते हुए अगले 10-15 वर्षों में राज्य में मौजूद लगभग 1500 मेगावाट की जलविद्युत परियेाजनाओं के दोहन में रुचि जाहिर की, जिसके लिए एसजेवीएन के वरिष्ठ अधिकारी राज्य के संबंधित अधिकारियों से सीधे संपर्क में है ।
शर्मा ने उल्लेख किया कि एसजेवीएन के पास हिमाचल प्रदेश में विषम भूगर्भीय परिस्थितियों में सतलुज नदी बेसिन में 1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन तथा 412 मेगावाट रामपुर जलविद्युत स्टेशन जैसी बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का सफल निर्माण करने का वृहद तकनीकी अनुभव है ।
इस वृहद तकनीकी-अनुभव के मद्देनजर हिमाचल प्रदेश सरकार ने एसजेवीएन को हिमाचल प्रदेश में इसी सतलुज बेसिन पर चार और जलविद्युत परियेाजनाएं नामतः 780 मेगावाट जंगी थोपन,210 मेगावाट लूहरी चरण-।, 172 मेगावाट लूहरी चरण-।। तथा 382 मेगावाट सुन्नी डैम जलविद्युत परियेाजनाएं एसजेवीएन को सौंपी हैं । एसजेवीएन को यह सभी परियेाजनाएं निर्माण, स्वामित्व, प्रचालन और अनुरक्षण (बूम) आधार पर आबंटित की है ।
एसजेवीएन को एक एकल नदी बेसिन में जलविद्युत परियोजनाएं आबंटित किए जाने से नदी बेसिन के ईष्टतम विकास के लिए परियोजनाओं के मध्य मेनपावर और अवसंरचना लागत को सांझा करने में सहूलियत हुई है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि एकीकृत नदी बेसिन नीति जलविद्युत संभाव्यता के दोहन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है, जिसके तहत परियोजनाओं की व्यवहार्यता का एक साथ अध्ययन किया जा सकता है और निर्माण हेतु उपयुक्त परियेाजनाओं पर विचार किया जा सकता है ।
इसी तर्ज पर शर्मा ने अरुणाचल प्रदेश सरकार से अनुरोध किया कि 7000 मेगावाट से अधिक की जलविद्युत संभाव्यता के अध्ययन और दोहन के लिए एसजेवीएन को अरुणाचल प्रदेश का समस्त लोहित बेसिन पर, बूम आधार पर आबंटित किया जाए। राज्य में 15000 मेगावाट से अधिक जलविद्युत संभाव्यता के दोहन के लिए एसजेवीएन की क्षमता विशेषज्ञता और महत्वाकांक्षा के परिप्रेक्ष में कंपनी का यह भी इरादा है कि अरुणाचल प्रदेश में सुबनसरी, दिबंग, सैंग इत्यादि जैसे अन्य नदी बेसिनों में ज्यादा संभावित परियेाजनाओं का मिलजुल कर पता लगाया जाए ।
शर्मा ने आगे कहा कि कम टैरिफ व्यवस्था के साथ दीर्घ निर्माण पूर्व अवधि वाले मौजूदा विद्युत परिदृश्य के अंतर्गत जलविद्युत परियेाजनाओं के लिए पीआईबी/सीसीईए मंजूरियां प्राप्त करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है । उक्त को ध्यान में रखकर जम्मू एवं कश्मीर सरकार तथा हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस दिशा में राज्य को निःशुल्क बिजली का आस्थगन, टोल करों, स्थानीय करों, जल उपयोग कर से छूट, 50% एसजीएसटी छूट, कैट योजना लागत में कमी, परियेाजना के तहत आने वाले निःशुल्क सरकारी भूमि जैसे परियेाजना के टैरिफ को कम करने के लिए छूटें देकर आगे कदम बढ़ाया है । जलविद्युत के सततशील और व्यावहारिक दोहन के लिए एसजेवीएन अरुणाचल प्रदेश सरकार से इसी तरह के सहयोग एवं समर्थन की अपेक्षा करता है ताकि राज्य ''राष्ट्र के विद्युत गृह'' के रूप में उभर सके। इससे समृ्दि्ध और समूचे विकास के एक नए युग का सूत्रपात होगा जो आम आदमी की उन्नति के साथ-साथ राज्य में नए उद्योगों के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा । अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री चाउना मीन ने राज्य की जलविद्युत क्षमता की विकास की दिशा में सभी मुमकिन मदद करने का आश्वासन दिया I
एसजेवीएन ने नवीकरणीय ऊर्जा, विद्युत ट्रांसमिशन तथा ताप विद्युत के क्षेत्र में भी प्रवेश किया है एवं 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 12000 मेगावाट तथा वर्ष 2040 तक 25000 मेगावाट की स्थापित क्षमता के आंतरिक विकास लक्ष्यों की परिकल्पना की है ।