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कविता

यूँ तो हर रोज़ नजरों से नजरें मिलती है; राजेश पाल

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राजेश पाल | June 25, 2023 10:33 AM

यूँ तो हर रोज़ मुलाकात होती है
किसी न किसी से
पर हर कोई दिल में थोड़ी न
उतरते हैं
यूँ तो हर रोज़ नजरों से नजरें
मिलती है किसी न किसी से
पर हर कोई नजरों में थोड़ी न
बसते हैं
यूँ तो हर रोज़ रिश्ते निभाते हैं
किसी न किसी से
पर हर किसी से रूह का रिश्ता
थोड़ी न है
यूँ तो हर रोज़ हंसते खेलते हैं
किसी न किसी के साथ
मगर आखिरी सांस तक साथ
हर कोई थोड़ी न है।

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