शिमला,
मज़दूर संगठन सीटू मंडी ज़िला कमेटी की बैठक कामरेड तारा चन्द भवन मंडी में ज़िला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह आयोजित की गई।जिसमें सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ कशमीर सिंह ठाकुर औऱ राज्य महासचिव प्रेम गौतम विशेष तौर पर उपस्थित हुए।इसके अलावा ज़िला महासचिव राजेश शर्मा के अलावा रविकांत, रमेश गुलेरिया, गुरदास वर्मा, राजकुमारी, सुमित्रा, हमिन्द्री शर्मा, विमला शर्मा, सुदर्शना, सरोज, नरेश कुमार, सन्तोष कुमार, नरेंद्र कुमार, सुरेंद्र कुमार, दीपक कुमार, ललित कुमार, राजेन्द्र सिंह, सोहन लाल सहित 35 सदस्यों ने भाग लिया।बैठक में डॉ कश्मीर सिंह ठाकुर ने बताया कि आगामी 8 जनवरी 2020 को सभी मज़दूर संगठन व यूनियनें मिलकर केंद्र सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के ख़िलाफ़,मज़दूर विरोधी नीतियों व श्रम कानूनों में किये जा रहे मज़दूर विरोधी बदलावों और नए मोटर वाहन एक्ट के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल की जाएगी।जिसकी तैयारी के लिए 1 नवम्बर को शिमला में सयुंक्त ट्रेड यूनियनों का राज्य स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया जाएगा।उसके बाद ज़िला औऱ यूनियन स्तर पर मजदूरों की मीटिंगे की जाएगी और 22 दिसंबर को मंडी में सीटू की विस्तारित बैठक की जाएगी।सीटू राज्य महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि मोदी सरकार राज्यों में बने श्रमिक कल्याण बोर्डों को खत्म करने जा रही है जिसके ख़िलाफ़ 5 दिसंबर को दिल्ली में देशव्यापी प्रदर्शन औऱ रैली की जाएगी जिसमें हिमाचल प्रदेश से एक हज़ार मजदूर भाग लेंगे।बैठक में आंगनवाड़ी औऱ मिड डे मील वर्करों को सरकारी कर्मचारी बनाने औऱ उन्हें न्यूनतम 18 हज़ार रुपये वेतन देने की मांग की गई।आंगनवाड़ी यूनियन की राज्य महासचिव राजकुमारी ने कहा कि एक तरफ़ विभाग ने वर्करों को आई फ़ोन देकर आनलाइन मॉनिटरिंग शुरू कर दी है लेकिन उन्हें न्यूनतम वेतन देने के लिए इनकार कर रही है जिसका यूनियन विरोध कर रही है और राष्ट्रीय स्तर पर इस बारे योजना बनाने के लिए आंध्रप्रदेश के सुन्दरमुंद्री ज़िला में 17-20 नवंबर से होने वाले सम्मेलन में योजना बनाएंगे। ज़िला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार आउटसोर्सिग आधर पर भर्तियां कर रही लेकिन उनके लिए नीति बनाने के लिए मुकर गयी है जिसके चलते सीटू आने वाली 24 नवंबर को मंडी में आऊटसोर्स मज़दूरों की बैठक की जाएगी और उसके बाद आंदोलन शुरु किया जाएगा।बैठक में मिड डे मील वर्करों को स्कूलों में नियुक्त किए जा रहे एम टी एस वर्कर के रूप में समायोजित करने की मांग की गई।बैठक में राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से निर्माण और मनरेगा मजदूरों को मिलने वाली सहायता सामग्री को जल्दी वितरित करने की भी मांग की गई।