लुधियाना,
रयूमेटोयायड-आर्थराइटिस का इलाज मंहगा नहीं है, जब कि इसे नजरअंदाज करना, महंगा पड़ सकता है।यूरिया का भी जोड़ो के दर्द से कुछ लेना-देना नहीं है।" डा प्रशांत अग्रवाल ।
डॉ सुरेंद्र गुप्ता, मैनेजिंग डायरेक्टर 'डायबिटीज फ्री वर्ल्ड' से प्राप्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बुधवार शाम को स्थानीय होटल औन में, रूमेटोलॉजी विषय पर 'चिकित्सक अवेयरनेस सेमिनार' का आयोजन किया गया। जिसमें 110 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया। विख्यात रूमेटोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत अग्रवाल ने रयूमेटोयायड-आर्थराइटिस पर व्याख्यान दिया। डॉ भारती अग्रवाल ने इस सैमीनार की अध्यक्षता की।
शहर के वरिष्ठतम डॉक्टर्स ने इस सेमिनार में भाग लिया जिनमें प्रमुखत्य डा सुरिंदर गुप्ता, डॉक्टर इंदर कुमार शर्मा, डॉ कुलवंत सिंह, डॉ आंशुल महाजन, डा रविँद्र वात्स्यायन, डा बिमल कानिश सचिव आई ऐम ऐ, डा सँदीप चोपडा, डा अमित धीमान, डा प्रभात गुप्ता, डा कृष्ण अरोडा, डा मिसेज व डा अनिल मित्तल, डा आर पी सिँह, डा सुमन सेठी, डा राजविँदर ग्रेवाल, डा अनिल वर्मा, डा हीरा सिँह लूथरा, डा प्रमोद मित्तल, डा राहुल जैन, डॉ विशाल शर्मा, डा अवतार सिंह लूथरा, डा दिवाकर शर्मा, डा इश हाँडा, डा रमन शर्मा, डा रितू व डा सुनील शर्मा, डा दीपक भाटीया, डा मिसेज मनदीप व डा तेजबीर सिँह, डा नरेश गुप्ता, डा संगीता व डॉक्टर भारत भूषण, डा सुखदीप पुरी, डा बलबीर डँग, डा प्रवीन भल्ला व डा राज कुमार बावा ने चर्चा में भाग लिया।
चिकित्सक अवेयरनेस सेमिनार' का प्रारंभ करते हुए, डॉ सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि गठिया या जोड़ों में दर्द व ऑटो-इम्यून बीमारियों का चलन, इन दिनों बहुत अधिक हो गया है। हमारा खानपान/ हमारी जीवन शैली, व वायुमंडलीय प्रदूषण ही, प्राय इसके लिए जिम्मेदार हैं।
डॉ कुलवंत सिंह ने डॉ प्रशांत अग्रवाल का अभिवादन किया व उन्होंने डॉ प्रशांत द्वारा किए गए सराहनीय चिकित्सा कार्य की प्रशंसा की। डा विशाल शर्मा ने डॉ अग्रवाल परिचय सभी डैलीगेटस्ट से करवाया। और उन्हें अपना व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया।
डॉ प्रशांत अग्रवाल ने रयूमेटोयायड-आर्थराइटिस पर बोलते हुए कहा कि रयूमेटोयायड-आर्थराइटिस का इलाज संभव है। वहीं ज्यादातर लोगों में पाए जाने वाली मांस या जोड़ों के दर्द में, मांसपेशियों की सूजन या फाइब्रोमायल्जिया ही मुख्य वजह से होता है। ये 5% प्रतिशत तक पौपूलेशन को प्रभावित करता है।
डा अग्रवाल ने कहा कि रयूमेटोयायड-आर्थराइटिस का इलाज मंहगा नहीं है, जब कि इसे नजरअंदाज करना, महंगा पड़ सकता है। आर-ए-फैक्टर टैस्ट, रयूमेटोयायड-आर्थराइटिस का पक्का टैस्ट नहीं है, क्योंकि यह 5% सामान्य लोगों में भी पॉजिटिव पाया जाता है। इसी तरह यूरिया का भी जोड़ो के दर्द से कुछ लेना-देना नहीं है। जबकि यूरिक एसिड जोड़ो पर जरूर ऐसे डालता है लेकिन यह 90% लोगों में सामान्य लेवल में रहता है। यूरिक एसिड महज मैटाबोलिक सिंड्रोम का एक मार्कर भर है।
डॉ इंदर शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया व चिकित्सक अवेयरनेस सेमिनार में आए सभी चिकित्सकों का आभार प्रकट किया। उन्होंने डॉ प्रशांत अग्रवाल को शुभकामनाएं भी प्रस्तुत की। और सभी डैलीगेटस् की तरफ से डा प्रशांत अग्रवाल को सम्मानित किया गया।