Sunday, December 22, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पॉवर स्टेशन में आंतर-इकाई फुटबॉल प्रतियोगिता का आगाज़*नुक्कड नाटक, गीत-सगींत के माध्यम से लोगों को किया जागरूकजंगली मुर्गा प्रकरण में सीएम त्रुटि को सुधारने के बजाय नारे लगवा और केस दर्ज करवा रहे है : कंवरसांस्कृतिक दलों ने बताया राजस्व लोक अदालतों का महत्वमहिलाओं के लिए विधान से समाधान के तहत विधिक जागरूकता शिविर आयोजितकलाकारों ने गांव द्रड्डा और भन्नौता में ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं से करवाया अवगत उपायुक्त ने सराज विधानसभा क्षेत्र में राजस्व कार्यालयों व राजकीय संस्थानों का किया औचक निरीक्षणअमर नयन शर्मा बने प्रदेश भाजपा समर्थक मंच के अध्यक्ष’
-
देश

सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की: मुख्यमंत्री

-
Anil K. Jamwal | Bureau Himalayan update 7018631199 | May 19, 2023 01:16 PM
Picture Source Google
Anil K. Jamwal

शिमला ,             


मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के दस वन मंडलों की सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस मामले की पुरजोर वकालत की और इसके फलस्वरूप वन विभाग के पक्ष में निर्णय आया। उन्होंने कहा कि ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़ और कुटलैहड़ वन मंडलों में खैर के पेड़ों की कटान के लिए कार्य योजना तैयार की गई है और इन वन मंडलों में प्रति वर्ष 16500 वृक्षों का कटान निर्धारित किया गया है। खैर का कटान शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाहन, पांवटा साहिब, धर्मशाला, नूरपुर और देहरा पांच वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि वन अधिकारी इन पांचों वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए वनों का निरीक्षण करने और खैर के पेड़ों की गिनती की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि खैर के पेड़ों की सिल्वीकल्चर कटाई वन प्रबंधन एवं इनके कायाकल्प के अलावा सरकार के राजस्व सृजन मंे सहायक सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि खैर के वृक्षों का समय से कटान नहीं होने के कारण अधिकांश पेड़ सड़ रहे हैं और यह बेहतर वन प्रबंधन की दिशा में एक बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के हित को ध्यान में रखते हुए इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में उठाया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में प्रायोगिक के आधार पर खैर के पेड़ों की कटाई के परिणाम जानने के लिए इसमें पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की थी। अब शीर्ष अदालत ने वन विभाग की राय एवं केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा शीर्ष अदालत में प्रस्तुत निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की है।

-
-
Related Articles
Have something to say? Post your comment
-
और देश खबरें
-
-
Total Visitor : 1,69,87,844
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy