मानसिक स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि लोग कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और व्यवहार करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ अवसाद, चिंता, द्विध्रुवी विकार, लत और अन्य स्थितियों से पीड़ित लोगों की मदद कर सकते हैं जो उनके विचारों, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।मानसिक स्वास्थ्य दैनिक जीवन, रिश्तों और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। हालाँकि लोगों के जीवन के कारक, पारस्परिक संबंध और शारीरिक कारक मानसिक अस्वस्थता में योगदान कर सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने से व्यक्ति की जीवन का आनंद लेने की क्षमता सुरक्षित रह सकती है। ऐसा करने में जीवन की गतिविधियों, जिम्मेदारियों और मनोवैज्ञानिक लचीलापन प्राप्त करने के प्रयासों को संतुलित करना शामिल है। तनाव, अवसाद और चिंता सभी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं और व्यक्ति की दिनचर्या को बाधित कर सकते हैं। हालाँकि स्वास्थ्य पेशेवर अक्सर मानसिक स्वास्थ्य शब्द का उपयोग करते हैं, डॉक्टर मानते हैं कि कई मनोवैज्ञानिक विकारों की जड़ें शारीरिक होती हैं।
मानसिक बीमारियाँ हर साल 19% वयस्क आबादी, 46% किशोरों और 13% बच्चों को प्रभावित करती हैं। अपने मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोग आपके परिवार में हो सकते हैं, आपके पड़ोस में रहते हैं, आपके बच्चों को पढ़ाते हैं, अगले कक्ष में काम करते हैं । हालाँकि, प्रभावित लोगों में से केवल आधे को ही उपचार मिल पाता है, अक्सर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक के कारण। अनुपचारित, मानसिक बीमारी उच्च चिकित्सा व्यय, स्कूल और काम पर खराब प्रदर्शन, रोजगार के कम अवसर और आत्महत्या के जोखिम को बढ़ा सकती है।
यद्यपि पिछले दशकों में मानसिक बीमारी की सामान्य धारणा में सुधार हुआ है, लेकिन अध्ययनों से पता चलता है कि मानसिक बीमारी के खिलाफ कलंक अभी भी शक्तिशाली है, मुख्य रूप से मीडिया की रूढ़िवादिता और शिक्षा की कमी के कारण, और लोग मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को दूर से ही नकारात्मक कलंक मानते हैं। कैंसर, मधुमेह या हृदय रोग जैसी अन्य बीमारियों और विकलांगताओं की तुलना में मानसिक बीमारियों की दर बहुत अधिक है, किंतु हम अपने व्यक्तिगत व सामाजिक कारण से इस तथ्य को नकार देते हैं, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से जूझ रहे किसी व्यक्ति के लिए कलंक और गलत सूचना भारी बाधाओं की तरह महसूस हो सकती है।
इसका सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कारण जागरूकता की कमी है हमें हर आयु वर्ग के लोगों में अधिक से अधिक जागरूकता फैलानी होगी ताकि हम शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह के स्वास्थ्य का सही संतुलित अपने समाज में पैदा कर सके। इस विषय में योगाभ्यास का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है । यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि योग को मानसिक बीमारियों की निदान के लिए बहुत ही कम प्रयोग में लाया जा रहा है वर्तमान में प्रोफेसर विनोद नाथ जी मानसिक बीमारियों के निदान के लिए योग के योगदान पर बहुत गहन विचार व अनुसंधान कर रहे हैं । वह योग की नई पद्धति न्यूरो कॉग्निटिव योग के संस्थापक भी है वह देश व विदेश में बहुत लोगों को मानसिक तनाव व बीमारियों से मुक्ति दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
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डॉ विनोद नाथ
अध्यक्ष श्री नाथ योग शिक्षा एवं अनुसंधान फाउंडेशन (पंजीकृत)