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शिक्षा

हिमाचल राजकीय भाषायी अध्यापक संघ ने टी जी टी संस्कृत की अधिसूचना में त्वरित सुधार की की मांग

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Bureau 7018631199 | October 12, 2023 10:05 AM


शिमला,
हिमाचल प्रदेश राजकीय भाषाई अध्यापक संघ के राज्य अध्यक्ष हेमराज ठाकुर, सचिव अर्जुन सिंह,महिला मोर्चा अध्यक्ष मीरा देवी ,संस्थापक नरेन्द्र कुमार शर्मा,संयोजक धनवीर सिंह तथा सभी जिलों के प्रधानों और अन्य पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ - साथ शिक्षा विभाग द्वारा संस्कृत शिक्षक भर्ती और पदोन्नति नियमों में किए गए बदलावों का स्वागत किया है।

हेमराज ठाकुर ने बताया कि एन सी ई टी के संशोधित प्रावधानों के तहत संस्कृत शिक्षक भर्तियों में बदलाव होना अति अनिवार्य था,जिसमें स्नातक स्तर पर 50% अंक की योग्यता न रखने वाले अभ्यर्थी को 50% अंकों की अनिवार्यता का विकल्प स्नातकोत्तर स्तर पर दिया गया है।उन्होंने यह भी बताया कि 11 अक्तूबर 2023 को विभाग द्वारा संस्कृत शिक्षकों के भर्ती नियमों में जो बदलाव एन सी ई टी के प्रावधानों के तहत किया गया है,वह हिमाचल के सन्दर्भ में प्रासंगिक नहीं जान पड़ता है।उन्होंने एन सी ई टी के संशोधित प्रावधानों के तहत शिक्षा विभाग द्वारा टी जी टी संस्कृत के भर्ती व पदोन्नति नियमों को हिमाचल में बनाने के लिए संघ का परामर्श लेने का आग्रह विभाग से किया है । संघ का कहना है कि ये नियम विभाग ने कई बार बनाने की प्रक्रिया शुरू की पर सिरे नहीं चढ़ी।

आज यदि इस प्रक्रिया को एन सी ई टी के प्रावधानों के तहत अमलीजामा विभाग ने पहनाया भी है तो वह भी कई प्रकार की खामियों के साथ सामने आया है।हेमराज ठाकुर ने बताया कि विभाग ने इस मामले में कई विकल्प दिए हैं,जिनका स्वागत भी है। परन्तु इन विकल्पों में संस्कृत महा विद्यालयों से संस्कृत की विधिवत पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को पूर्ण न्याय नहीं मिल पा रहा है और न ही संस्कृत की स्कूली शिक्षा प्रणाली में भविष्य में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र - छात्राओं को ही इस व्यवस्था से उचित और विषय विशेषज्ञ संस्कृत शिक्षकों का लाभ मिलेगा। क्योंकि संस्कृत महा विद्यालयों में जो विद्यार्थी शास्त्री की परीक्षा उत्तीर्ण करता है,वह दर्शन शास्त्र,साहित्य शास्त्र,व्याकरण शास्त्र ,ज्योतिष शास्त्र,अनुवाद विधान, वेद - वेदांत आदि विषयों के साथ वर्तमान शिक्षा प्रणाली के ज्वलंत विषय अंग्रेजी, राजनीतिक शास्त्र, हिन्दी ,इतिहास और भूगोल इत्यादि विषयों का अध्ययन भी वैकल्पिक व्यवस्था में करते हैं।हेमराज ठाकुर ने बताया कि नई शिक्षा नीति में अब आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दो विषय विशिष्ट शास्त्री की शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को चुनने ही पड़ते हैं,जिनमें अंग्रेजी तो अनिवार्य ही की जा चुकी है। ऐसे में मात्र एक ही विषय ऐच्छिक संकृत का पढ़ने वाला स्नातक या स्नातकोत्तर किया विद्यार्थी कहां संस्कृत का मूल ज्ञान शास्त्री पढ़ाई ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के बराबर रखेगा?संघ ने इस सन्दर्भ में आशंका जताते हुए कहा कि यह मामला पुनः बेरोजगार शास्त्री संघ द्वारा न्यायलय में भी प्रस्तुत किया जा सकता है, जो सरकार और विभाग के लिए जे बी टी भर्ती नियमों में बी एड प्रशिक्षितों को मान्य करने जैसा बाधक बन सकता है।
संघ का कहना है कि हिमाचल में अन्य राज्यों की तरह व्यवस्था संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए नहीं है।अन्य राज्यों में शास्त्री को स्नातक और आचार्य को स्नातकोत्तर के समक्ष मान्यता प्राप्त है पर हिमाचल में ऐसा नहीं है।ऊपर से इन नए नियमों से सामान्य शास्त्री तो शिक्षक बनाने से वंचित ही रह जाएंगे। हेमराज ठाकुर ने यह भी बताया कि इन नियमों में टी जी टी संस्कृत बनाने के लिए बैच बी एड का ही अधिकृत करना भी तर्कसंगत नहीं जान पड़ता है। क्योंकि ऐसे में तो पुराने शास्त्री की शिक्षा ग्रहण किए हुए अभ्यर्थी बैच वाइज भर्ती में बहुत पिछड़ जाएंगे और अपने कनिष्ठों के समक्ष खड़े हो जाएंगे। इसलिए उन्होंने विभाग से एक बार पुनः इन नियमों को निर्धारित करने का निवेदन किया है और पुनर निर्धारण से पहले संघ के साथ चर्चा करने का भी आग्रह किया है।



संघ ने सरकार और विभाग से चार सितम्बर 2023 के उच्च न्यायालय के फैसले को लागू करने की मांग भी उठाई है।संघ का कहना है कि अब तो टी जी टी हिन्दी और संस्कृत के मामले में माननीय उच्च न्यायालय का फैसला भी आ गया है। ऐसे में सरकार और विभाग से आग्रह है कि अब इस फैसले को तुरन्त प्रभाव से लागू किया जाए,ताकि सभी पात्र शिक्षकों को इसका लाभ जल्द मिल सके।

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