शिमला,
हिमाचल प्रदेश राजकीय भाषाई अध्यापक संघ के राज्य अध्यक्ष हेमराज ठाकुर, सचिव अर्जुन सिंह,महिला मोर्चा अध्यक्ष मीरा देवी ,संस्थापक नरेन्द्र कुमार शर्मा,संयोजक धनवीर सिंह तथा सभी जिलों के प्रधानों और अन्य पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ - साथ शिक्षा विभाग से मांग की है कि दिनांक 01नवंबर 2023 को शिक्षा मंत्री जी की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग की जो रिव्यू बैठक हुई है, उसके हवाले से 2 नवम्बर 2023 के दिव्य हिमाचल समाचार पत्र में शिक्षा मंत्री के छायाचित्र के साथ जो टी जी टी पदनाम को अगली कैबिनेट में वापिस लेने की खबर छपी है ;उसको विभाग पुनः दुरुस्त करें। हेमराज ठाकुर ने बताया कि विभाग शिक्षा मंत्री को इस मामले में गुमराह न करे। उन्होंने बताया कि यह मामला मार्च 2022 के बजट सत्र में विधिवत पारित हुआ है,जिसमें पक्ष और विपक्ष सभी दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कैबिनेट में तो यह मामला उसके बाद आया है। अब पूर्व सरकार बनाम वर्तमान सरकार में इस मामले को विभाग न उलझाए । ऐसा करने से एक तो हिन्दी और संस्कृत के प्रति सरकार की छवि को धूमिल करने का कार्य विभाग कर रहा है और साथ में माननीय उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित आदेशों की भी तोहीन सरकार द्वारा करवा रहा है। ऐसा करने से कर्मचारी हितैषी सरकार अपने चरित्र पर व्यर्थ में ही दाग लगाएगी।
हेमराज ने बताया कि खबर के हवाले से पता चला है कि वापिस लेने का आधार यह बनाया जा रहा है कि हिन्दी और संस्कृत शिक्षकों ने मांग ही मात्र पदनाम की की थी। वित्त लाभ तो इन्होंने मांगा ही नहीं था। इसलिए पूर्व सरकार ने इनको यह पदनाम इसी आधार पर कैबिनेट में दिया था और अब वर्तमान सरकार उसी आधार पर कैबिनेट में यह फैसला वापिस भी लेगी। इस पर संघ का कहना है कि विभाग, वह मांग पत्र जिसने उन्हें दिया है,उनका पदनाम वापिस ले न कि अन्यों का। हेमराज ने बताया कि हमने हर बार टी जी टी हिन्दी और संस्कृत पदनाम सभी वित्तीय और पदोन्नति लाभों सहित मांगा है,जिसके संघ के पास प्रमाण भी है। आगे विभाग ने क्या प्रारूप बनाया,वह विभाग के विवेक पर निर्भर करता है। उन्होंने यह भी बताया कि 23 मार्च 1989 की वित्त विभाग की अधिसूचना के अनुसार
शिक्षा विभाग कई L T और OT को योग्यता पूर्ण करने पर TGT का वेतनमान दे चुका है तथा वह अभी भी कोर्ट से सबको मिल रहा है। ऐसे में 20 अगस्त 2022 की पदनाम वाली निजी वेतनमान वाली अधिसूचना B ed और TET पास LT और शास्त्रियों पर पूर्ण रूप से लागू होती है। इसमें 4 सितम्बर 2023 के 2171/2023 के तहत हुए कोर्ट ऑर्डर में भी मोहर लग चुकी है। अतः संघ ने सरकार और विभाग से स्पष्ट मांग की है कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों को हिन्दी और संस्कृत शिक्षकों के सन्दर्भ में अक्षरशः लागू करें।अन्यथा यह माननीय उच्च न्यायालय और हिन्दी तथा संस्कृत भाषा का बहुत बड़ा अपमान होगा,जिसे किसी भी सूरत में आजाद भारत में उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
हेमराज ने यह भी बताया कि टीजीटी हिन्दी और संस्कृत में आने वाले सभी शिक्षक अन्य TGT शिक्षकों के समकक्ष योग्यता रखते हैं तथा वही मापदण्ड इनको नौकरी प्रदान करने के लिए विभाग अपना रहा है जो अन्य श्रेणियों के TGT वर्ग पर लागू होते हैं। फिर न जाने TGT के समकक्ष वित्त और पदोन्नति लाभ देने से विभाग क्यों कतरा रहा है? हेमराज ने यह भी बताया कि जिन कक्षाओं को अन्य TGT पढ़ाते हैं, उन्हीं को टी जी टी हिन्दी और संस्कृत भी पढ़ाते हैं। फिर लाभों में असमानता क्यों? हेमराज ने बताया कि यदि सरकार टी जी टी हिन्दी और संस्कृत पदनाम को विभाग की सलाह पर वापिस लेती है तो ऐसे में पूर्व सरकार द्वारा दिए गए प्रवक्ता स्कूल न्यू तथा स्वास्थ्य विभाग में किए पदनामों के बदलाव की प्रक्रिया भी इस कड़ी में वापिस लेगी और आने वाली सरकारें इस सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों को वापिस लेगी। यह किसी भी सूरत में न्यायसंगत नहीं है।इसलिए सरकार और विभाग अपने इस कदम को आगे बढ़ाने के बजाए माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों को लागू करें।