आवारा कुत्तों का प्रबंधनiभारत में आवारा कुत्तों के काटने से होने वाली मौतों के मामले आश्चर्यजनक रूप से बहुत अधिक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल वैश्विक स्तर पर कुत्तों के हमलों से 55,000 से अधिक लोग मारे जाते हैं, जिसमें रेबीज के कारण होने वाली वैश्विक मौतों में से 36% मौतें भारत में होती हैं और दक्षिण-एशिया क्षेत्र में 65% मौतें होती हैं।
आवारा कुत्तों का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो ज्यादातर शहरों और नगरों में उत्पन्न होता है। आवारा कुत्ते वह कुत्ते होते हैं जो किसी भी निर्धारित मालिक के नहीं होते हैं और सामाजिक संघर्ष या पर्यावरणीय समस्याओं का कारण बनते हैं। आवारा कुत्तों का प्रबंधन कई तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
1. बहुमुखी संघर्ष कार्यक्रम: यह प्रोग्राम उन कुत्तों को शामिल करता है जो संक्रमण, परस्पर झगड़े या अन्य संघर्ष की जटिल स्थितियों के शिकार होते हैं। यह स्थानीय अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय निवासियों के सहयोग पर आधारित होता है।
2. स्थानीय जनता की जागरूकता: जनता को उनके घर के निकट के कुत्तों के प्रबंधन के महत्व को समझाना महत्वपूर्ण होता है। संवेदनशीलता बढ़ाने, पालतू कुत्तों के सही स्थान और अनावश्यक जनसंख्या का नियंत्रण करने के लिए सार्थक अवगति का विकास होता है।
3. पालतू और गैर-पालतू कुत्तों के लिए स्थानिक क्लिनिक और शिविर: ऐसे स्थानिक स्थलों की स्थापना की जा सकती है जहां पालतू कुत्तों का व्यावसायिक एवं मेडिकल सेवाओं के साथ समर्थन किया जा सकता है। इसके अलावा, नस्ल स्पेसिफिक और पर्याप्त नस्ल संगठनों की स्थापना भी की जा सकती है।
4. अनियमित स्थानिक प्रोग्राम्स और अभियान: समय-समय पर अनियमित जांच अभियान और चिकित्सा शिविरों का आयोजन करना भी महत्वपूर्ण है। इससे कुत्तों के स्वास्थ्य और प्रबंधन में सुधार हो सकता है।
5. कुत्तों की नस्लिकरण का नियंत्रण: कुछ क्षेत्रों में कुत्तों की अनियमित नस्लिकरण को नियंत्रित करने के लिए कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। यह आवारा कुत्तों के जनसंख्या को कम करने में मदद कर सकता है।
इन सभी पहलों को मिलाकर, आवारा कुत्तों का प्रबंधन संभव है, लेकिन इसमें स्थानीय समुदायों, सरकारी अधिकारियों और संगठनों के सहयोग की जरूरत होती है। इसके अलावा, सामाजिक संगठनों, स्थानीय सरकारों और व्यक्तिगत योगदान के माध्यम से जनता को भी शिक्षित किया जा सकता हैi आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए हमें कोई ठोस नियमावली बनानी पड़ेगी यह एक गंभीर समस्या है जिसके लिए हमें व्यक्तिगत सामाजिक स्तर पर और प्रशासनिक स्तर पर सही तरीके से काम करने की आवश्यकता हैi