Thursday, November 21, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
सीआईएसएफ को मिली पहली महिला बटालियन एसजेवीएन को विद्युत मंत्रालय द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा अवार्ड 2024 में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गयाव्यवस्बथा सुधारने में डीसी हमीरपुर की नई पहल , बचत भवन परिसर में आम जनता को मिलेंगी सुविधाएं कृषि विभाग की योजनाओं से लाभान्वित किसानों के खेतों में पहुंचे उपायुक्त चंबा,सरकार हर मोर्चे पर बुरी तरह फेल : रणधीर *** लोक निर्माण मंत्री ने बनुटी में आयोजित निःशुल्क चिकित्सा शिविर का किया शुभारंभ कल हमीरपुर में होगा कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का मंहगाई, बेरोजगारी और तानाशाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शनसामर्थ्य कार्यक्रम के व्यापक लाभ के लिए पात्रता शर्तों में बदलाव
-
धर्म संस्कृति

होलिका दहन का महत्व: डॉ० विनोद नाथ

-
डॉ विनोद नाथ | March 24, 2024 11:33 AM
चित्र:सभार गूगल

होलिका दहन, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पर्व होता है जो होली के पहले दिन मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के फाल्गुन माह के पूर्णिमा के पूर्व दिन मनाया जाता है, जिसे होलिका दहन या होलिका पूजन भी कहा जाता है। इस पर्व का महत्व विभिन्न परंपराओं और कथाओं से जुड़ा है।

होलिका दहन का महत्व प्रमुखतः हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की कथा से जुड़ा है। अनुसार, हिरण्यकश्यप ने अपनी पुत्री प्रह्लाद को हिन्दुत्व से विरुद्ध बनाने का प्रयास किया था, जबकि प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र की भक्ति से चिढ़ आई और उन्होंने उसे मारने के लिए विभिन्न प्रयास किए। एक बार उन्होंने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया। होलिका, जो अग्नि में अस्तित्व रखती थी, प्रहलाद को उसके साथ बैठा कर आग मंल डाल दी। लेकिन भगवान की कृपा से प्रहलाद को कोई नुकसान नहीं हुआ, जबकि होलिका अग्नि में जलकर विनाश हो गई। यह कथा होलिका दहन के पर्व की मूल कथा है, जो धर्म और अधर्म के बीच की विजय को स्थायी रूप से प्रतिष्ठित करती है।

कुछ स्थानों पर, होलिका दहन का उल्लेख भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कथा से भी जुड़ा है। इस कथा के अनुसार, कृष्ण ने अपनी बाली उम्र में गोपियों के साथ होली खेली थी, जिसमें वह और राधा मिलकर बाँसुरी बजाते थे। इसे भी होलिका दहन के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

 एक और कथा के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण ने अपने गोपीयों से कहा कि वह उनके गांव वृंदावन में होलिका दहन का आयोजन करना चाहते हैं। गोपियाँ होली में उनके साथ मनाने के लिए खुश थीं, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें उस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने के लिए आश्वासन दिया। इससे प्रकट होता है कि श्रीकृष्ण ने होलिका दहन को धार्मिकता के महत्व के लिए प्रमुखता दी।

ये कुछ प्रमुख होलिका दहन की कथाएं हैं जो हिंदू संस्कृति में प्रसिद्ध हैं और इस पर्व के महत्व को समझने में मदद करती हैं।

होलिका दहन का महत्व भी सूर्य के पर्वतारण और फागुन का मासिक उत्सव भी है, जिसमें लोग नक्कारे जलाते हैं और भगवान अग्नि का पूजन करते हैं। इस पर्व का महत्व होली के आगमन के साथ अन्य सम्बन्धित धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी है।

सार्वजनिक रूप से, होलिका दहन का महत्व हिन्दू समाज में भाईचारे, समरसता, और धार्मिक उत्सव की आत्मा को प्रोत्साहित करता है। यह उत्सव लोगों को अहंकार और असुरी शक्तियों के विरुद्ध लड़ने की प्रेरणा देता है और उन्हें सच्ची धार्मिकता की ओर प्रेरित करता है।

-
-
Related Articles
Have something to say? Post your comment
-
और धर्म संस्कृति खबरें
पवित्र देव स्थल चूड़धार शिरगुल महाराज मंदिर में कुरुड़ स्थापना शांत महायज्ञ देवी देवताओं की उपस्थिति में कुरुड़ स्थापना के साथ चूड़धार में धार्मिक आयोजन देवपरम्परा के साथ सम्पन्न हुआ। आनी के शमशरी महादेव मंदिर शमशर और आनी बाजार में 22 जुलाई को होगा भव्य आयोजन 60 वर्षों के बाद रघुपूर गढ के ऐतिहासिक दौरे पर जाऐंगें कुंईरी महादेव व्यास ऋषि* स्वास्थ्य मंत्री एवं शिक्षा मंत्री ने श्रीमद् भागवत कथा में शिरकत की 15 जून को देवता साहिब  पंचवीर जाएंगे रघुपुरगढ़ यात्रा पर 21 जून को 11 स्थानों पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाएगा आयुष विभाग आनी  के ठोगी गाँव में माहूँनाग मेले की धूम आ जाओ माँ दिल घबराये देर न हो जाए कहीं देर न हो जाए पर झूम उठे भक्त विशु मेला पबास जिसमे आपके पांशी दल ननाहर बनाम शाठी दल मझारठी को आंमत्रित किया जा रहा है जिला स्तरीय आनी मेले की दूसरी सांस्कृतिक संध्या में हिमाचली फोक  सिंगर ए.सी भारद्वाज. सुरेश शर्मा. हनी नेगी. राज ठाकुर. तथा शेर सिंह कौशल ने अपनी गायकी से  लूटा आनी वासियों का दिल
-
-
Total Visitor : 1,69,00,209
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy