कुल्लू,
कुल्लू के उपनगर भुंतर के समीप कलैहली गांव के धनी राम ने हर सीजन की तरह इस बार भी निजी भूमि पर एक बड़ी नर्सरी तैयार कर ली थी। नर्सरी में शिमला मिर्च, मिर्च, टमाटर, बैंगन, बंद गोभी व फूल गोभी के लाखों पौधे लगभग तैयार थे। इतने में प्रदेश सरकार ने लाॅक-डाउन की घोषणा कर दी। धनी राम को लाखों की तैयार की गई पनीरी को किसानों तक पहुंचाने की चिंता होना स्वाभाविक था। उन्हें लगा कि इस बार कोरोना का संकट उन पर भारी पड़ जाएगा और महीनों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
इसी बीच, सरकार ने जब लाॅकडाउन के बीच ही किसानों व बागवानों को खेती-बाड़ी का कार्य करने की इजाजत दी तो धनी राम को बड़ा सुकून मिला और एक उम्मीद जगी कि मेहनत जाया नहीं जाएगी। उन्होंने तुरंत कृषि विभाग के अधिकारियों को फोन किया कि क्या किसान पनीरी लेने उनकी नर्सरी तक आ पाएंगे अथवा गांव-गांव तक इसे पहुंचाने की व्यवस्था हो सकेगी। किसानों और नर्सरी उत्पादकों की समस्या को देखते हुए विभाग के अधिकारियों ने जिला के सभी नर्सरी उत्पादकों को वाहनों के परमिट जारी करवाए।
धनी राम कुल्लू, बंजार, मनीकर्ण घाटी, सैंज तथा मनाली के अनेकों गांवो के किसानों को हर साल पनीरी की आपूर्ति करते हैं। वाहन का परमिट मिलते ही वह गांव-गांव में मांग के अनुसार पनीरी पहुंचाने के कार्य में जुट गए। लाॅकडाउन के दौरान उन्होंने विभिन्न प्रकार की लगभग 10 लाख पनीरी गांव में किसानों को वितरित की। धनी राम मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का आभार जताते हुए कहते हैं कि खेती-बाड़ी के काम के लिए लाॅकडाउन के आरंभ में ही छूट देकर मुख्यमंत्री ने किसानों की मेहनत का सम्मान किया है। उनका यह भी मानना है कि कोरोना संकट के चलते परिवार के सभी सदस्य घरों में ही हैं और इसका किसानों को दोहरा लाभ मिला है। इससे पूरा परिवार एक साथ खेती-बाड़ी का कार्य कर रहा है जिससे उत्पादन बढ़ा है और खेती-बाड़ी के कार्य में किसानों को मजदूरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। इससे कृषि कार्यों में गुणवत्ता भी आई है। चंद दिनों में ही 10 लाख मूल्य की नर्सरी बेचकर धनी राम ने लाॅकडाउन की चुनौतियों को अवसर में बदल कर एक मिसाल कायम की है।
धनी राम बताते हैं कि आरंभ में उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व टमाटर और शिमला मिर्च की पनीरी तैयार करने की चाहत से अपना काम शुरू किया। धीरे-धीरे मांग बढ़ने लगी और वह अपना काम बढ़ाते गए। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को अपने साथ पनीरी तैयार करने के कार्य में लगाया। इसके बावजूद मांग पूरी न कर पाने पर उन्होंने अपने इस कारोबार को और बढ़ाने की सोची। उन्होंने हर किस्म की पनीरी तेयार करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर विभाग से बीज प्राप्त किए और तकनीकी जानकारी भी हासिल की।
रोजगार भी दिया है सात युवाओं को
धनी राम बताते हैं कि उन्होंने अपना कारोबार बढ़ाने के लिए चार युवाओं को मासिक वेतन पर अपनी नर्सरी में नियमित तौर पर रोजगार प्रदान किया है। इसके अलावा, धनी राम नेे अपने दोनों बेटों को भी नर्सरी उत्पादन के कार्य में लगाया है। ऐसा करने से उसके बेटों को रोजगार के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ा और घर-द्वार पर स्वरोजगार प्राप्त हुआ है। अब वह टमाटर, शिमला मिर्च, मिर्च, बैंगन, फूल गोभी, बंद गोभी इत्यादि सभी प्रकार की पनीरी अपनी नर्सरी में तैयार कर रहे हैं।
अपनी नर्सरी में धनी राम ने बागवानी विभाग की मदद से पाॅली हाउस भी स्थापित किए हैं जिनमें बे-मौसमी प्रकार की पनीरी तैयार की जा रही है। अपने घर-परिवार व मजदूरों के लिए वह पाॅली हाउस में सभी प्रकार की सब्जियां भी तैयार करते हैं।
धनी राम बताते हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। मेहनत, लग्न और ईमानदारी के साथ यदि किसी काम को अंजाम दिया जाए तो उसका फल अवश्य मिलता है। उनका मानना है कि खेती-बाड़ी का काम एक आदर्श कार्य है जिसके माध्यम से किसान समाज को खाद्यान्न की व्यवस्था करता है। वह युवाओं को संदेश देते हुए कहते हैं कि पढ़ाई-लिखाई का उद्देश्य केवल सरकारी नौकरी प्राप्त करना नहीं होना चाहिए। पढ़े-लिखकर नौजवान अनेक प्रकार के स्वरोजगार सृजित कर सकते हैं और अपने साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार देने की क्षमता रखते हैं।