जो भी अर्जित कर रखा है, सब यहीं रह जाएंगे।
क्या तू लेकर आया मानव, क्या लेकर हम जाएंगे।।
सत्कर्म को करते जाओ, मानव जीवन सार है।
सदा प्रेम धन बांँटो सबको, यह जीवन आधार है।।
दीन दुखी की सेवा करके, हम खुशियांँ फैलाएंगे
जो भी अर्जित कर रखा है, सब यहीं रह जाएंगे।।
मिट्टी की है काया मानव, करो नहीं अभिमान तुम।
पल में तोला पल में माशा, रखना यह संज्ञान तुम।।
परोपकार है परम भावना, जन-जन को बतलायेंगे
जो भी अर्जित कर रखा है, सब यहीं रह जाएंगे।।
"सखी "मोह माया का बंधन, से जगत बौराया है।
माया ठगनी जग को देखो, कैसा मोड़ लाया है।।
जागो सारे नींद छोड़कर, जन जागरण लाएंगे
जो भी अर्जित कर रखा है, सब यहीं रह जाएंगे।।